सुप्रीम कोर्ट के जसि्टस पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया
म.प्र हाईकोर्ट के द्वारा आरोपी को उसकी बच्ची की गवाही को नजर अंदाज किया गया जिसमें उसकी माता को मारने के आरोप में पिता को बरी कर दिया गया
जिसको खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी बच्चे की गवाही को केवल इसलिए न सुना जाए की वह कम उम्र पर है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चे की गवाही में सर्तकता बरतनी चाहिए क्योंकि बच्चे मासूम होते हैं एवं उनको आसानी को प्रभावित किया जा सकता है। बच्चा स्वेच्छा से अपना गवाही दे इसका ध्यान रखना चाहिए।