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रमजान मुबारक: जबलपुर के मुसलमानों के नाम हजरत मुफ्ति ए आजम मौलाना मुशाहिद मियां का पैगाम

…. मैं नौजवानों से खासतौर पर गुजारिश करना चाहूंगा। रोज़ों का एहतमाम करें, रोज़ेदारों का अहतिराम करें। यह इबादत जो फ़र्ज़ है आपके ऊपर, उसको बराबर अदा करें। उसमें लापरवाही, कोताही बिल्कुल न बरतें। इबादात की पाबंदी करें, रमजान जिस इज़ार और कुर्बानी के साथ मनाना चाहिए, उसी तरह से मनाएं।

यह नसीहत, यह तलक़ीन, यह बात, “हजरत मुफ्ती-ए-आज़म मुशाहिद रज़ा क़ादरी साहब ने कही। आप बाज मीडिया के माध्यम से जबलपुर के मुसलमानों के नाम रमजान का पैगाम दे रहे थे.

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आपने पैगाम में आपने कहा, “मैं उम्मीद करता हूं कि यह रमजान बहुत अच्छे गुजरेंगे। नौजवानों में मजहब को लेकर एक बेदारी देखी जा रही है, बच्चों में एक तरह का उत्साह देखा जा रहा है, वो मुबारकबाद के क़ाबिल है।”

साल भर करें एहतमाम…

हजरत मुफ्ती-ए-आज़म ने कहा, “रमजान के दौरान बच्चे रोज़ा रखते हैं, बुजुर्गों में उत्साह होता है। लड़कियां और महिलाएं रोज़ा रखती हैं। घर में त़रावीह पढ़ती हैं। मर्द हज़रत तैयार होकर मस्जिदों में जाते हैं। बहुत अच्छा माहौल बनता है, घरों में… एक महीना । एक ऐसा माहौल बनता है जैसे हम पूरी तरह से इस्लामी माहौल में रच-बस गए हैं।” आपने कहा, “अगर यही रचना, यही बसना, हम साल भर अपना कर रखें तो यह हमारे लिए फख्र की बात होगी।”

दुकानदानों और बेरोजदारों को नसीहत …

आपने रमजान में मुस्लिम क्षेत्रों में खाने-पीने की दुकानें खोलने वालों और रमजान के दिनों में चल-फिरकर खाना खाने वालों को नसीहत करते हुए कहा, रोज़ेदार का एहतमाम लाजिम है, ऐसा न करने वाला गुनाहगार होता है।”
हजरत मुफ्ती-ए-आज़म ने कहा, “मैं तमाम मुसलमानों को रमजान की मुबारकबाद पेश करता हूं। साथ ही मैं गुजारिश करना चाहूंगा कि होटलें जो मुसलमानों के इलाकों में चालू रहती हैं, उनके बंद करने का कोई सिस्टम नहीं है। लिहाज़ा, जो लोग रोज़े से नहीं रहते, वहीं लोग होटलों में जाते हैं, खाने-पीने, सिगरेट और पान में लगे रहते हैं।”

आपने कहा, “जो रोज़ेदार आपके सामने से गुजर रहा है, वह अल्लाह की बारगाह में इसार और कुर्बानी पेश कर रहा होता है। यह आप पर, हम सब पर लाजिम है कि उसका एहतमाम करें।”

आपने मुस्लिम इलाकों के होटल वालों को तलीक़ीन करते हुए कहा, ” आप दुकानें बंद नहीं कर सकते तो कम से कम पर्दा लगा लें। हम रोज़ेदारों के एहतिराम की खातिर इतना तो कर सकते हैं। क्योंकि जो लोग अंदर बैठकर खा-पी रहे हैं, नाश्ता कर रहे हैं, वह रोज़ेदारों के दिलों पर किसी तरह की चोट का सबब न बनें।”

रोज़ा हर हाल में रखें…

आपने कहा, “रमजान का महीना बहुत मुबारक महीना होता है। हर आक़िल और बालिग पर रोज़ा फ़र्ज़ है। जो लोग तंदरुस्त हैं, किसी किस्म के मर्ज़ में मुब्तिला नहीं हैं, उन्हें हर हाल में रोज़ा रखना चाहिए।” आपने कहा, “मैं नौजवानों से खासतौर पर गुजारिश करना चाहूंगा। रोज़ों का एहतमाम करें, रोज़ेदारों का एहतमाम करें। यह इबादत जो फ़र्ज़ है उनके ऊपर, उसको बराबर अदा करें। उसमें लापरवाही, कोताही बिल्कुल न बरतें।”

Jabalpur Baz

बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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