सफारी, टाइगर, ज़िपलाइन और जिराफ! जबलपुर में शुरू हो रहा है भारत का सबसे अनोखा टूरिस्ट ज़ोन !

जबलपुर। मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर जबलपुर अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान बनाने जा रहा है। शहर के मदन महल की पहाड़ियों पर स्थित ठाकुरताल क्षेत्र को एक बहु-आयामी पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की योजना लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने बनाई है। इस महात्वाकांक्षी परियोजना की जानकारी प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि परियोजना में फॉरेस्ट सफारी, जू कम रेस्क्यू सेंटर, संग्रामसागर तालाब का समग्र विकास और प्राकृतिक रोमांच से भरपूर इको-टूरिज्म गतिविधियाँ शामिल होंगी।
वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से होगा नामकरण
परियोजना को ऐतिहासिक गरिमा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि इस पर्यटन हब का नाम वीरांगना रानी दुर्गावती पर्यटन केंद्र रखा जाएगा। इससे न केवल जबलपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान मिलेगा, बल्कि क्षेत्र के लोगों की भावनात्मक जुड़ाव को भी मजबूती मिलेगी।

100 हेक्टेयर में फैलेगा पर्यटन केंद्र
परियोजना को लगभग 85 से 100 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। इस क्षेत्र में पर्यटकों को प्राकृतिक वन्य जीवन और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलेगा। प्रस्तावित सुविधाओं में शामिल हैं:
- रोबोटिक इंटरप्रिटेशन सेंटर
- बटरफ्लाई पार्क
- लॉन्ग कार्निवल एरिया
- येलो टाइगर, व्हाइट टाइगर, पैंथर, लायन और भालू
- रेप्टाइल हाउस (मगरमच्छ, सांप)
- एग्जॉटिक बर्ड और नेटिव बर्ड जोन
- जिराफ और जेब्रा के लिए एग्जॉटिक पार्क
- वाटर इंटरप्रिटेशन सेंटर
- स्पीशीज़-वाइज इंटरप्रिटेशन एरिया
संग्रामसागर से ठाकुरताल तक एडवेंचर का रोमांच
परियोजना का विशेष आकर्षण यह होगा कि संग्रामसागर तालाब से ठाकुरताल तक ट्रैकिंग, बोटिंग और ज़िपलाइन के ज़रिए रोमांचक सफर तय किया जा सकेगा। फॉरेस्ट बाथिंग, व्यू प्वाइंट्स और योगा/ध्यान स्थल भी विकसित किए जाएंगे, जो मानसिक और शारीरिक शांति के लिए पर्यटकों को आकर्षित करेंगे।
रोज़गार, संरक्षण और संवर्धन का मिलेगा लाभ
मंत्री श्री सिंह ने बताया कि परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) अगले तीन माह में तैयार कर ली जाएगी। उसके बाद निर्माण कार्यों की शुरुआत होगी। यह परियोजना न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहरों के संवर्धन में भी अहम भूमिका निभाएगी।