जबलपुर : करोड़ों के धान घोटाले का मास्टरमाइंड छतरपुर से गिरफ्तार, 74 हजार का था इनाम

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में हुए करोड़ों रुपये के धान घोटाले के मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड, मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन (MPSCSC) के प्रभारी जिला प्रबंधक दिलीप किरार को क्राइम ब्रांच और पाटन पुलिस ने छतरपुर से गिरफ्तार कर लिया है। इसकी गिरफ्तारी पर 74 हजार रुपये का इनाम घोषित था। लंबे समय से फरार चल रहे दिलीप किरार को पुलिस ने छतरपुर के खटीक मोहल्ला से धर दबोचा। इसे कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया गया है, और पाटन थाने में पूछताछ जारी है।
घोटाले का दायरा और आरोप
पुलिस के अनुसार, दिलीप किरार ने जबलपुर जिले के पाटन, कुण्डम, सिहोरा, मझगवां, मझोली, कटंगी, गोसलपुर, भेड़ाघाट, पनागर, बेलखेड़ा, बरेला और गोराबाजार थाना क्षेत्रों में धान उपार्जन के दौरान बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और गबन किया। इस घोटाले में फर्जी एंट्री, गलत परिवहन दस्तावेज और धान की हेराफेरी शामिल थी। जांच में पाया गया कि लगभग 60 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ, जिसमें 1.31 लाख क्विंटल धान की हेराफेरी और फर्जी खरीदी की गई।
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर जिले के 12 थानों में दिलीप किरार समेत 74 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, गबन और आपराधिक साजिश के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इनमें 13 MPSCSC कर्मचारी, 17 राइस मिलर्स और 44 सहकारी समितियों के कर्मचारी शामिल हैं। दिलीप किरार को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।
घोटाले का खुलासा और जांच
2024 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं। जांच में पता चला कि धान को ट्रकों के बजाय कार, बस और ट्रैक्टर जैसे वाहनों में परिवहन दिखाया गया। कुछ वाहन तमिलनाडु और महाराष्ट्र में चल रहे थे, लेकिन कागजों में उन्हें जबलपुर से धान ढोते हुए दर्शाया गया। 614 ट्रिप में से 571 का टोल नाकों पर कोई रिकॉर्ड नहीं मिला, और 307 ट्रिप में फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर वाली कारों का इस्तेमाल हुआ।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि अंतर-जिला मिलिंग के लिए जबलपुर में रखी धान को अन्य जिलों में भेजने के बजाय स्थानीय दलालों को बेच दिया गया। फर्जी रिलीज ऑर्डर और ऑनलाइन पोर्टल पर गलत एंट्री के जरिए लगभग 14 करोड़ रुपये की धान जबलपुर के बाजार में बेची गई, जबकि 16 करोड़ रुपये की धान को अन्य जिलों के मिलर्स को बेचा गया।
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की थी, जिसने 2510 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई शुरू हुई।
गिरफ्तारी और पूछताछ
क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि दिलीप किरार छतरपुर में अपने एक रिश्तेदार के घर छिपा है। पुलिस ने पहले उसके जबलपुर के सराफा स्थित निवास पर छापा मारा, लेकिन वह वहां नहीं मिला। इसके बाद छतरपुर में दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने इससे पहले तीन अन्य आरोपियों—गंधर्व सिंह, पंकज प्रधान और संतोष कुमार शुक्ला—को गिरफ्तार किया था। अब तक इस मामले में 19 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन कई आरोपी अभी भी फरार हैं। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा ने बताया कि फरार आरोपियों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं, और कॉल डिटेल्स व मोबाइल लोकेशन के आधार पर उनकी धरपकड़ जारी है।
पुलिस की भूमिका
दिलीप किरार की गिरफ्तारी में थाना प्रभारी पाटन गोपिंद्र सिंह राजपूत और क्राइम ब्रांच के प्रभारी शैलेष मिश्रा के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। क्राइम ब्रांच की टीम में सहायक उप निरीक्षक संतोष पांडे, आरक्षक आशुतोष बघेल, जयप्रकाश, साइबर सेल के सहायक उप निरीक्षक कपूर सिंह, प्रधान आरक्षक अमित पटेल, आरक्षक जितेंद्र राउत, अरविंद सूर्यवंशी और चौकी प्रभारी उप निरीक्षक विपिन तिवारी शामिल थे।
आगे की कार्रवाई
पुलिस का कहना है कि दिलीप किरार से पूछताछ में घोटाले से जुड़े अन्य आरोपियों और इसकी पूरी कार्यप्रणाली का खुलासा होने की संभावना है। मामले में और गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है। साथ ही, राइस मिलर्स को ब्लैकलिस्ट करने और उनकी सुरक्षा निधि जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।