जबलपुर में 43 करोड़ का धान परिवहन फर्जीवाड़ा: 28 लोगों के खिलाफ FIR, खाद्य नियंत्रक पर भी गिर सकती है गाज

जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत खरीदे गए धान की मिलिंग और परिवहन में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। इस बार 43 करोड़ रुपये के कागजी धान परिवहन की धोखाधड़ी उजागर हुई है, जिसमें 16 राइस मिलर्स सहित कुल 28 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इस घोटाले की परतें खुलते ही जिले के खाद्य नियंत्रक की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही उनके खिलाफ भी विभागीय जांच शुरू हो सकती है। जांच में सामने आया कि 23 फर्जी वाहनों से 19,490 क्विंटल धान का कागजी ट्रांसपोर्ट दिखाया गया, जिनमें बाइक और कार शामिल थीं।
फर्जी ट्रकों से कागजी धान का खेल
जांच रिपोर्ट में जो खुलासे हुए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 2.45 लाख क्विंटल धान का परिवहन दर्शाया गया, जिसकी बाज़ार कीमत 56.44 करोड़ रुपये आंकी गई। हालांकि तथ्यों की पुष्टि के बाद घोटाले की वास्तविक राशि 43.02 करोड़ रुपये निकली।
- जांच में सामने आया कि 23 फर्जी वाहनों से 19,490 क्विंटल धान का कागजी ट्रांसपोर्ट दिखाया गया। इनमें से कई वाहन दोपहिया और कार निकले।
- 55 फर्जी ट्रक नंबरों से 72,720 क्विंटल धान दिखाया गया।
- 165 ऐसे वाहनों का इस्तेमाल दर्शाया गया, जिनकी वास्तविक क्षमता से कई गुना अधिक धान के परिवहन का दावा किया गया।
दोषी 43 मिलर्स, 16 पर FIR
जांच टीम ने जिले की 46 राइस मिलों की जांच की, जिनमें से 43 मिलों को दोषी पाया गया। इनमें से 16 मिलर्स ने अकेले 33.81 करोड़ रुपये मूल्य के धान में गड़बड़ी की। इनके साथ एमपीएससीएससी (MP State Civil Supplies Corporation) के 11 कर्मचारी और विभिन्न सहकारी समितियों के पदाधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं।
दर्ज एफआईआर में ये नाम शामिल
एफआईआर में दर्ज नामों में प्रमुख रूप से शामिल हैं:
अनिल सिंगला (राधेकृष्णा एग्रो), राकेश शिवहरे (मां नर्मदा एग्रो फूड), अंकित जैन (त्रिगुण एग्रो फूड), राजेश हेमराजानी (महालक्ष्मी इंडस्ट्रीज), कमल कुमार जैन (जैनम फूड्स), आशीष हसवानी (हंसवानी एंड संस), प्रांजल केशरवानी (मां नर्मदा एग्रो इंडस्ट्रीज), निधि पटेल (मां भगवती इंडस्ट्रीज), आनंद जैन (सुविधि राइस मिल), पारस जैन (चिन्मय सागर), रीता शिवहरे (छवि इंडस्ट्री), मनोज सहजवानी (जय भगवान जी प्रोडक्ट्स), विनय कुमार (शिवाय राइस एंड जनरल मिल्स), जितेन्द्र जग्गी (शाहजी फूड्स), नीरज असाटी (वैष्णवी ट्रेडिंग), सोनम साहू (आयुषी एग्रो इंडस्ट्रीज)।
इनके अलावा एमपीएससीएससी के प्रभारी जिला प्रबंधक दिलीप किरार, कलेक्ट्रेट ऑपरेटर सुनील प्रजापति, मंडी इश्यू सेंटर के प्रभारी राम किशोर बैगा, रिछाई व शहपुरा इश्यू सेंटर प्रभारी रामेन्द्र शर्मा, कंप्यूटर ऑपरेटर सुमित कोरी, गोविंद अवस्थी, सौरभ शुक्ला, बी.एस. मेहर और अन्य पर भी केस दर्ज किया गया है।
मिलर्स की सफाई, जांच समिति का खंडन
मिलर्स ने अपनी सफाई में कहा है कि गलती कंप्यूटर ऑपरेटरों द्वारा ट्रक नंबरों की फीडिंग में हुई, लेकिन जांच समिति ने इसे खारिज कर दिया। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि ट्रक नंबर का मास्टर डेटा मिलर्स खुद पोर्टल पर फीड करते हैं, ऑपरेटर केवल उसे चयन करते हैं। इसके अलावा गेट पास, कांटा पर्चियों और गाड़ियों के नंबरों में भी भारी विसंगतियां पाई गईं।
सवालों में क्लीन चिट
इस घोटाले में सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक ने संबंधित मिलर्स को क्लीन चिट दे दी। उन्होंने यह पत्र कलेक्टर के निर्देश पर जारी करने का दावा किया। हालांकि अब खाद्य नियंत्रक की भूमिका भी जांच के घेरे में है और विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
पिछली कड़ियों से जुड़ा घोटाला
गौरतलब है कि जबलपुर जिले में फर्जी धान खरीदी और परिवहन के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। वर्ष 2024 और मार्च 2025 में इसी प्रकार के घोटालों में 17 थानों में एफआईआर दर्ज की गई थी और 74 लोगों को आरोपी बनाया गया था। नया घोटाला इन्हीं मामलों की अगली कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।