
जबलपुर, 25 जुलाई। शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के केंद्र हनुमानताल की सफाई और सौंदर्यीकरण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस नेताओं ने तालाब के जीर्णोद्धार कार्यों में भारी अनियमितता, लापरवाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। पूर्व विधायक विनय सक्सेना के नेतृत्व में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के एसपी को शिकायत पत्र सौंपते हुए पूरे प्रकरण की गहराई से जांच की मांग की है।
शिकायत में यह आरोप लगाया गया है कि करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बावजूद हनुमानताल की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। न तो तालाब की सफाई सुचारु ढंग से हुई है, न ही सौंदर्यीकरण का कोई प्रभाव नजर आ रहा है। विनय सक्सेना ने बताया कि उन्होंने अपने विधायक कार्यकाल में हनुमानताल के जीर्णोद्धार के लिए लगभग ढाई करोड़ रुपए की डीपीआर तैयार कराई थी, जिसमें एसटीपी प्लांट, विसर्जन प्वाइंट, रैलिंग सहित फुटपाथ निर्माण जैसी योजनाएं शामिल थीं। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस सरकार के गिरने के बाद यह कार्य अधूरा रह गया।
बाद में भाजपा सरकार ने नई डीपीआर बनाकर दो करोड़ रुपए की लागत से कार्य प्रारंभ करवाया, नगर निगम ने भी कई कार्यों की घोषणा की, और विभिन्न जनप्रतिनिधियों ने तालाब का निरीक्षण किया। लेकिन बावजूद इसके तालाब की मौजूदा स्थिति बेहद दयनीय है। आरोप यह भी है कि एक करोड़ रुपए से अधिक की राशि पहले ही खर्च की जा चुकी है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं दिख रहा।
शिकायत पत्र में यह भी मांग की गई है कि ईओडब्ल्यू यह जांच करे कि हनुमानताल परियोजना के तहत किन विभागों और जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा पर कितना बजट स्वीकृत हुआ, किसे कितनी राशि का भुगतान किया गया, और क्या संबंधित कार्यों की गुणवत्ता एवं मात्रा उस राशि के अनुरूप है या नहीं।
पूर्व विधायक विनय सक्सेना ने यह भी सवाल उठाया कि जब धार्मिक पर्व जैसे गणेश विसर्जन, कजलियाँ और अन्य उत्सव नजदीक हैं, तो क्या जनता को इस प्रदूषित और उपेक्षित तालाब में विसर्जन करना पड़ेगा? उन्होंने कहा कि जिस एसटीपी प्लांट की बात की गई थी, वह आज तक जमीन पर नहीं दिख रहा।
इस मौके पर कांग्रेस के अनेक पूर्व पार्षद और नेता मौजूद रहे, जिन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की मांग की।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख चेहरे थे:
राजेश सोनकर (पूर्व नेता प्रतिपक्ष), द्वारका मिश्रा, तेजकुमार भगत, नरेंद्र सिंह पांधे, संजय राठौर, शिव कुमार चौबे, रज्जू सराफ, साहिल यादव, कमल दीक्षित, सुसीम धर, पंकज पटेल, सचिन रजक, पंकज निगम, संजय उपाध्याय, रोहित नेमा, सुनील विश्वकर्मा, शैलेश राठौर, दिलीप पटारिया, राजीव तिवारी, सनी जैन, आयुष पहरिया, रिंकू शर्मा, अवधेश गुप्ता, विनय डोलस, केशव कोरी, रंजीत, तुलाराम, राकेश चौधरी आदि।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईओडब्ल्यू इस मामले में जांच प्रारंभ करती है या नहीं, और यदि करती है तो क्या करोड़ों की लागत वाले इस सार्वजनिक कार्य से जुड़ा सच सामने आ पाएगा?