बरगी डेम से खुले 15 गेट, नर्मदा का जलस्तर 10 फीट बढ़ा; प्रशासन अलर्ट पर, घाट खाली कराए गए

जबलपुर। पूर्वी मध्यप्रदेश में मानसून की तीव्र रफ्तार और बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के चलते जबलपुर सहित आसपास के जिलों में भारी बारिश का दौर जारी है। लगातार हो रही वर्षा के कारण बरगी डेम का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया, जिसके चलते शनिवार दोपहर डेम प्रबंधन ने एक साथ 8 और गेट खोल दिए। इससे पहले शुक्रवार को 7 गेट खोले जा चुके थे। अब कुल 15 गेटों से 3375 क्यूमेक पानी नर्मदा में छोड़ा जा रहा है, जबकि डेम में आवक 3889 क्यूमेक तक पहुंच चुकी है।
डेम से पानी छोड़ने पर घाटों पर मुनादी, लोग शिफ्ट किए गए
बरगी, बरेला, भेड़ाघाट और ग्वारीघाट जैसे नर्मदा किनारे बसे इलाकों में प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। गेट खोलने से पहले पुलिस और प्रशासन ने घाटों पर मुनादी कर लोगों को सतर्क किया और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कार्रवाई शुरू की। घाटों के पास दुकानें लगाने वाले व्यापारियों ने भी अपने ठिकानों को ऊंचे स्थानों पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
जलस्तर 420 मीटर पार, अधिकतम सीमा के करीब
बरगी डेम के कार्यपालन यंत्री राजेश सिंह गोंड के अनुसार, शनिवार सुबह जलस्तर 420 मीटर से ऊपर पहुंच गया, जो डेम की अधिकतम भंडारण सीमा के बेहद करीब है। जलग्रहण क्षेत्रों—विशेषकर डिंडोरी और मंडला—में लगातार बारिश हो रही है, जिससे डेम में पानी की आवक और बढ़ने की आशंका है।
अगले 24 घंटे बेहद अहम, और भी गेट खुल सकते हैं
मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटों के लिए अति भारी बारिश की चेतावनी दी है। ऐसे में बरगी डेम प्रबंधन ने संकेत दिए हैं कि यदि पानी की आवक तेज होती है, तो और गेट खोले जा सकते हैं या मौजूदा गेटों की ऊंचाई बढ़ाई जा सकती है। इससे नर्मदा का जलस्तर 15 फीट तक बढ़ने की संभावना है, जिससे निचले क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।
प्रशासन की अपील: “नदी किनारे न जाएं”
जबलपुर प्रशासन और पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे नर्मदा के किनारों, खासकर पर्यटन स्थलों जैसे भेड़ाघाट, ग्वारीघाट और तिलवारा की ओर ना जाएं। बरगी डेम से छोड़े जा रहे पानी के कारण नदी का बहाव बेहद तेज है और किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
एनडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें तैनात
संभावित खतरे को भांपते हुए जिला प्रशासन, पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें चौकसी पर हैं। नर्मदा किनारे बसे गांवों और बस्तियों में निगरानी बढ़ा दी गई है। प्रशासन लगातार मौसम विभाग और डेम प्रबंधन से समन्वय बनाए हुए है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित राहत और बचाव कार्य शुरू किए जा सकें।