
मध्य प्रदेश सरकार में निगम, मंडल, प्राधिकरण, आयोगों में जल्द नियुक्तियां होने वाली हैं. जिसके लिये संगठन और सत्ता की तैयारियां और मंथन अंतिम चरण में हैं. इस बार जबलपुर जिले से एक मुस्लिम चेहरे को इन नियुक्तियों में सम्मान जनक स्थान मिलना तय माना जा रहा है.
जब जबलपुर भाजपा के गलियारों में निगम-मंडलों की नियुक्तियों की चर्चा जोरों पर है, तब जबलपुर के डॉ. रिजवान अंसारी का नाम लगातार तेज़ी से उभर रहा है। पार्टी के अंदरखाने में उनकी साफ छवि, वैचारिक प्रतिबध्दता और संगठन के प्रति वर्षों की निष्ठा के चलते उनके नाम को लेकर सकारात्मक माहौल है। खबर है कि उन्हें उन्हें शासन में किसी ऐसे पद पर जिम्मेदारी मिल सकती है, जो राज्य मंत्री के दर्जे वाला हो — यानी मजबूत पोर्टफोलियो वाले निगम मंडल में उपाध्यक्ष जैसी अहम भूमिका।
कौन हैं डॉ. रिजवान अंसारी?

डॉ रिजवान अंसारी शिक्षा के मामले में भाजपा के अल्पसंख्यक नेताओं में सबसे पढ़े-लिखे चेहरों में हैं। MA, PhD हैं और लगातार लिखने वाले चिंतक हैं। सामाजिक राजनीतिक मुद्दों पर उनकी पकड़, लेखन और सामाजिक सक्रियता उन्हें बाकी नेताओं से अलग खड़ा करती है। वे ना सिर्फ संगठन में वर्षों से काम कर रहे हैं, बल्कि मध्य प्रदेश अल्पसंख्यक भाजपा और मुस्लिम समाज का ऐसा चेहरा हैं जो निर्विवाद है और पार्टी की विचारधारा के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ है।

इस बार संगठन ने साफ किया है कि नियुक्तियां ‘परिवारवाद-पहुंच‘ नहीं, निष्ठा और योग्यता के आधार पर होंगी। वहीं डॉ मोहन यादव सरकार ने कई बार साफ किया है की सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास वाला का प्रधानमंत्री मोदी का फार्मूला मध्य प्रदेश में जमीनी हकीकत बनेगा. हर वर्ग को सत्ता में उचित हिस्सेदारी मिलेगी. अब तक यह देखा गया है की जबलपुर का मुस्लिम समाज भाजपा शासन हिस्सेदारी से दूर रहा है.
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की नीति और नये प्रदेश संगठन की तैयारी देखकर यह साफ है की जबलपुर मुस्लिम समाज से एक चेहरा प्रदेश सत्ता के गलियारों तक पहुंचेगा.
… ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वाकई में पार्टी अपने ही तय किए गए मानकों पर खरा उतरती है या फिर पुराने समीकरण हावी हो जाएंगे?

गौरतलब है वरिष्ठ भाजपा नेता एसके मुद्दीन राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त वित्त विकास के उपाध्यक्ष के पद पर रहे हैं. पार्टी के पास जबलपुर जिले की भाजपा में मुस्लिम समाज से तीन दावेदार हैं — इस बार डॉ. रिजवान का नाम शिक्षा, क्षवि और जातिगत समीकरण की वजह से सबसे उपर बताया जा रहा है.
अंतिम फैसला अब दिल्ली के हाथ में
जानकारी के मुताबिक बीते सप्ताह भोपाल में हुई हाईप्रोफाईल बैठक में मंथन के बाद प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल और मुख्यमंत्री मोहन यादव के बीच संभावित नामों को लेकर विचार-विमर्श पूरा हो चुका है। अब सबकुछ दिल्ली हाईकमान की मंजूरी पर टिका है। जबलपुर में संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं की यह भी अपेक्षा है कि इस बार केवल “करीबी” नेताओं को नहीं, बल्कि जमीन से जुड़े, वर्षों से मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को भी सम्मान मिलना चाहिए। जिस तरह पिछली बैठकों में स्पष्ट किया गया कि संगठन में परिवारवाद या निजी प्रभाव की कोई जगह नहीं होगी, उससे अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जबलपुर में किन चेहरों को जिम्मेदारी मिलती है। क्या भाजपा अपने ही तय किए गए मानकों पर खरी उतरती है? या फिर पुरानी राजनीतिक रस्में ही दोहराई जाएंगी? सु