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खितौला बैंक डकैती : 15 करोड़ की डकैती: नाम–पता सब पता, फिर भी डकैत लापता

जबलपुर। खितौला थाना क्षेत्र में 11 अगस्त को इसाफ स्मॉल फाइनेंस बैंक में हुई लगभग 15 करोड़ रुपये मूल्य के सोना–नकदी की डकैती को 12 दिन से अधिक बीत चुके हैं। इस सनसनीखेज वारदात में पुलिस एक ओर महत्वपूर्ण सुरागों तक पहुंच गई है, तो दूसरी ओर उसकी सबसे बड़ी चुनौती बरकरार है।

पुलिस की कामयाबी और नाकामी

पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी यह है कि उसने डकैतों के मददगारों को गिरफ्तार कर लिया है और वारदात को अंजाम देने वाले मुख्य आरोपियों के नाम, पते और पहचान भी जुटा ली है। लेकिन सबसे बड़ी नाकामी यही है कि इतनी पुख्ता जानकारियां होने के बावजूद मुख्य आरोपी अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

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सूत्रों के मुताबिक पुलिस की कई टीमें राजस्थान, झारखंड और बिहार तक दबिश देकर लौटी हैं, लेकिन न तो आरोपी हाथ आए और न ही लूट का माल बरामद हो सका। वर्तमान स्थिति यह है कि पुलिस को डकैतों के बारे में लगभग सब पता है, मगर वे इस समय कहां छिपे हैं, इसका कोई ठोस सुराग अब तक नहीं मिल पाया है।

खानाबदोशों की तरह गायब

सूत्र बताते हैं कि डकैत दशकों से खानाबदोश जिंदगी जी रहे हैं। वे कभी एक जगह कुछ महीनों से ज्यादा टिकते ही नहीं। यही कारण है कि जहां भी पुलिस पहुंची, वहां लोगों ने केवल इतना बताया कि आरोपी पहले यहां रहते थे। स्थानीय स्तर पर समन्वय की कमी और कई बार वहां की पुलिस से अपेक्षित सहयोग न मिलने की वजह से भी ठोस प्रगति नहीं हो सकी।

सोना गलने का खतरा

जांच एजेंसियों को इस बात की सबसे ज्यादा चिंता है कि समय बीतने के साथ बरामदगी की संभावना घटती जा रही है। आशंका है कि बदमाश सोने को गलाकर बाजार में उतार सकते हैं या फिर नेपाल के रास्ते दुबई में खपा सकते हैं। ऐसी स्थिति में भले ही पुलिस डकैतों को पकड़ ले, लेकिन करोड़ों का माल वापस मिलना बेहद कठिन माना जा रहा है।

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📌 पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती डकैतों की गिरफ्तारी नहीं बल्कि चोरी हुए सोने और नगदी की बरामदगी है, जो हर बीतते दिन के साथ और मुश्किल होती जा रही है।

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बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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