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(जबलपुर) थाना प्रभारियों पर नई निगरानी व्यवस्था : अब हर घंटे एएसपी को देनी होगी सटीक लोकेशन

जबलपुर। जिले में थाना प्रभारियों की फील्ड में सक्रियता पर सवाल उठते रहे हैं। कई बार शिकायतें मिलीं कि थाना प्रभारी थाने में मौजूद नहीं रहते और स्टाफ फरियादियों को यह कहकर लौटा देता है कि “साहब फील्ड पर हैं”, जबकि वास्तविकता अलग होती है। इसी गंभीरता को देखते हुए जबलपुर एसपी सम्पत उपाध्याय ने अब एक सख्त और नई व्यवस्था लागू की है।

नई गाइडलाइन के तहत जिले के सभी 36 थाना प्रभारियों को सुबह 11 बजे से रात 12 बजे तक हर घंटे अपनी लोकेशन संबंधित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को बतानी होगी। थाना प्रभारी द्वारा दी गई लोकेशन को एएसपी तत्काल अपने स्तर पर सत्यापित करेंगे। इस व्यवस्था का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि थाना प्रभारी वास्तव में फील्ड और थाना क्षेत्र में सक्रिय रहें, ताकि प्रभावी पुलिसिंग के साथ सामुदायिक पुलिसिंग भी सशक्त हो सके।

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नई व्यवस्था का तरीका

सप्ताह में दो दिन एएसपी शहर, दो दिन एएसपी ग्रामीण और एक दिन एएसपी क्राइम थाना प्रभारियों से लोकेशन लेंगे। यदि थाना प्रभारी अवकाश पर हों या गश्त–विश्राम में हों, तो उनकी जगह टू-आईसी (द्वितीय अधिकारी) लोकेशन की जानकारी देंगे।

क्यों पड़ी जरूरत?

दरअसल, जनसुनवाई और रूटीन शिकायतों में अक्सर यह सामने आया कि फरियादी थाना प्रभारी से नहीं मिल पाते। कई बार लोग थाने में घंटों बैठकर इंतजार करते हैं, लेकिन प्रभारी “फील्ड पर” बताकर टाल दिए जाते हैं। नतीजतन पीड़ित सीधे वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचने को मजबूर हो जाते हैं। आला अधिकारियों का मानना है कि यदि थाना प्रभारी क्षेत्र में सतत् सक्रिय रहें तो जनता को त्वरित न्याय मिलेगा और असामाजिक तत्वों में पुलिस का भय भी बना रहेगा।

पुलिस महकमे में चर्चा

हालांकि, इस आदेश को लेकर विभागीय स्तर पर चर्चा भी गर्म है। सवाल उठ रहा है कि यदि एएसपी सुबह 11 बजे से रात 12 बजे तक हर घंटे लोकेशन लेते रहेंगे तो उनका पूरा समय इसी काम में चला जाएगा। 36 थाना प्रभारियों की लोकेशन वेरिफाई करने में एक घंटा लगेगा और तभी अगले घंटे की बारी आ जाएगी। कई अधिकारियों का मानना है कि यदि यह अंतराल दो घंटे का कर दिया जाए तो व्यवस्था और अधिक व्यावहारिक होगी।

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पुरानी व्यवस्था की याद

यह पहली बार नहीं है जब थाना प्रभारियों की लोकेशन ट्रैकिंग की पहल की गई हो। फरवरी 2019 में तत्कालीन एसपी अमित सिंह ने आदेश जारी किया था कि थाना प्रभारी हर दिन थाना छोड़ने से पहले हवालात के सामने 2–3 एंगल से सेल्फी लेकर “पुलिस ग्रुप” में भेजें। यह व्यवस्था कुछ दिनों तक चली लेकिन बाद में स्वतः बंद हो गई।

देहात थानों की हालत खराब

शहरी थानों की तुलना में ग्रामीण थानों की स्थिति और भी खराब बताई जा रही है। शहर के थाना प्रभारियों को एसपी और एएसपी की आकस्मिक जांच का भय रहता है, इसलिए वे समय-समय पर सक्रियता दिखा देते हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों के थाना प्रभारियों को एसडीओपी पूरी तरह स्वतंत्र छोड़ देते हैं, जिससे वे अधिकारियों की औचक जांच से बेफिक्र रहते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिसिंग की स्थिति कमजोर बनी रहती है।

नई लोकेशन व्यवस्था से उम्मीद की जा रही है कि पुलिसिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी, जनता की फरियादों पर त्वरित सुनवाई होगी और थाना प्रभारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

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