
बरेली शरीफ़ में आला हज़रात इमाम अहमद रज़ा खाँ फ़ाज़िले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह के 107वें उर्स-ए-रज़वी में पूरे हिंदुस्तान और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लाखों जायरीन पहुँचे। इन्हीं जायरीन में जबलपुर का एक बड़ा मदनी काफ़िला भी शामिल हुआ, जिसकी क़ियादत दावते इस्लामी के मशहूर खतीब और सैफ़ मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ इमरान अत्तारी कादरी ने की।
इस काफ़िले में जबलपुर के प्रमुख समाजसेवी और जिम्मेदार लोग भी शरीक हुए, जिनमें मंजूरी अत्तारी, हाजी हैदर नूरी, हाजी दिलशाद अत्तारी, मोहम्मद इम्तियाज़, मोहम्मद अजान समेत बड़ी तादाद में अहले जबलपुर मौजूद थे।

दरगाह शरीफ़ में हाज़िरी और दुआ
जबलपुर के काफ़िले ने आला हज़रात की दरगाह पर हाज़िरी दी, फ़ातिहा पढ़ी और शहर के लिए अमन, तरक़्क़ी और खुशहाली की दुआएँ कीं। काफ़िले के सदस्यों ने कहा कि इस उर्स में शरीक होना उनके लिए एक रूहानी साअदत (spiritual blessing) है।

उलमा का पैग़ाम – तालीम और इत्तेफ़ाक़ पर ज़ोर
उर्स-ए-रज़वी की तक़रीबात में देशभर से आए नामवर उलमा ने तफ़सीरी बयानात पेश किए।
इमाम हाफ़िज़ इमरान अत्तारी कादरी ने बताया:
“बड़े-बड़े उलमा-ए-किराम माशाअल्लाह तशरीफ़ लाए थे। सबका यही पेग़ाम था कि आधी रोटी खाएँगे मगर बच्चों को ज़रूर पढ़ाएँगे। तालीम के मसले में सबने फोकस किया और इत्तेफ़ाक़ व इत्तिहाद की बात की।
हिंदुस्तान में अमन और सुकून तभी क़ायम रह सकता है जब हम इल्म-ए-दीन की तरफ़ आएँगे। अगर हम दीनदारी को मजबूती से थामेंगे तो दुनिया में भी कामयाबी (फ़तह) हासिल कर सकते हैं, वरना दीन के बग़ैर दुनियावी फ़तह नामुमकिन है।”
जबलपुर के नौजवानों पर असर
काफ़िले के कई नौजवानों ने माना कि आला हज़रात का उर्स उनके लिए सिर्फ़ एक धार्मिक इवेंट नहीं बल्कि ज़िंदगी बदलने वाला पैग़ाम लेकर आया।
उन्होंने कहा कि यह इज्तिमा नौजवानों को तालीम, दीनदारी और समाज में अमन-ओ-इत्तेफ़ाक़ की तरफ़ रागिब करता है।
07वां उर्स-ए-रज़वी
बरेली शरीफ़ में आला हज़रात इमाम अहमद रज़ा खाँ फ़ाज़िले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह का 107वां उर्स-ए-रज़वी को अकीदत और रूहानियत के माहौल में मुकम्मल हो गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस उर्स में देश-विदेश से आए लाखों जायरीन ने शिरकत की। बुधवार दोपहर 2:38 बजे कुल की रस्म अदा की गई, जिसके बाद दुआओं और सलाम के साथ उर्स का समापन हो गया।
जनसैलाब से भरा बरेली शहर
कुल की रस्म के बाद जब जायरीन की वापसी शुरू हुई तो शहर की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा।
- सौदागरान स्थित दरगाह से लेकर इस्लामिया कॉलेज मैदान तक जायरीन का रेला ही रेला नजर आया।
- हर तरफ भीड़ का आलम यह था कि लोग मकानों की छतों और छज्जों तक खड़े होकर नज़ारा देखने लगे।
- जहां कहीं बड़े वाहन खड़े थे, लोग उन पर चढ़कर बैठ गए।
- शाहजहांपुर मार्ग समेत प्रमुख सड़कों पर तकरीबन एक घंटे तक सिर्फ जायरीन ही चलते दिखे।
तेज़ धूप और गर्मी के बावजूद लाखों जायरीन ने दुआओं में हाथ उठाए। जब कुरान की आयतें लाउडस्पीकर से गूंजीं तो पूरा माहौल रूहानियत से भर उठा और लोग जहाँ थे वहीं ठहर गए।

उलमा का पैग़ाम और तक़रीबात
उर्स की तमाम तक़रीबात दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खाँ और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा खाँ कादरी की सदारत में संपन्न हुईं। निगरानी आसिफ मियां ने की।
देशभर से आए उलमा-ए-किराम ने मंच से दीन, मसलक, इत्तेफ़ाक़ और अमन का पैग़ाम दिया। साथ ही, तालीम की अहमियत और सामाजिक-सियासी मसलों पर भी चर्चा हुई।