GAZA Diary: ग़ज़ा नहीं ‘बच्चों का क़ब्रिस्तान’: अब तक 18,800 से ज़्यादा मासूमों की मौत

ग़ज़ा (BAZ NEWS NETWORK) – ग़ज़ा पर इसराइली हमलों को लगभग दो साल होने को आए हैं और इस दौरान मारे गए 62,000 से अधिक फ़लस्तीनियों में से 18,800 से ज़्यादा बच्चे शामिल हैं। लगातार बमबारी, जबरन विस्थापन और भूख ने ग़ज़ा को बच्चों के लिए मौतगाह बना दिया है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने पहले ही 6 नवंबर 2023 को चेतावनी दी थी:
“ग़ज़ा बच्चों का क़ब्रिस्तान बनता जा रहा है।”
कहीं भी सुरक्षित नहीं बच्चे – UNRWA
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी UNRWA ने मंगलवार को कहा कि ग़ज़ा में बच्चों के लिए अब कोई जगह सुरक्षित नहीं बची है।
इसराइली हमलों में हज़ारों घर मलबे में तब्दील हो चुके हैं और यूएन संचालित स्कूल अब “लाखों विस्थापितों के लिए आश्रय स्थल” बन गए हैं।
हर महीने 540 से ज़्यादा बच्चों की मौत
यूएनआईसेफ़ (UNICEF) के आंकड़ों का हवाला देते हुए UNRWA ने बताया कि पिछले पाँच महीनों में, जब से इसराइल ने युद्धविराम तोड़कर हमले फिर शुरू किए, औसतन हर महीने 540 से अधिक बच्चों की हत्या की गई।

भूख और बीमारियों से भी मौतें
फ़लस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से भूख और कुपोषण के कारण 122 बच्चों और शिशुओं की मौत हो चुकी है।
- जुलाई के मध्य तक 900 से अधिक बच्चे अपने पहले जन्मदिन से पहले ही इसराइली हमलों में मारे गए।
- कई बच्चे अपने बिस्तर में सोते हुए मारे गए, कुछ खेलते हुए और कुछ ऐसे भी जिन्हें चलना सीखने से पहले ही दफ़न कर दिया गया।
“हर घंटे एक बच्चा मारा गया”

यूएनआईसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया:
“सोचिए, इस युद्ध में हर घंटे एक बच्चा मारा गया। लगभग दो सालों तक हर दिन एक पूरी कक्षा के बच्चे मौत का शिकार हुए।”
👉 ग़ज़ा की यह त्रासदी सिर्फ़ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि हज़ारों मासूम ज़िंदगियों का वह दर्द है, जिसे दुनिया अनदेखा नहीं कर सकती।