
जबलपुर। गोहलपुर निवासी शहबाज़ आलम अपनी अम्मी मोहतरमा सलमा बानो (मरहूम मोहम्मद हाशिम भूरे होटल वालों की अहलिया) के साथ सफ़र-ए-उमरा पर रवाना हुए। बीते दिनों वे शहर से दुआओं के साथ रुख़सत हुए और अब अलहम्दुलिल्लाह मक्का मुक़र्रमा पहुँचकर उमरा के अरकान अदा कर रहे हैं।
यह मुबारक सफ़र मस्जिद सालार के पेश इमाम मौलाना मुफ़्ती तौफ़ीक़ आलम क़ासमी साहब की क़यादत और रहनुमाई में मुकम्मल हो रहा है। ज़ायरीन का यह ग्रुप 20 अगस्त को रवाना हुआ और 23 अगस्त को जेद्दाह पहुँचने के बाद सीधे मक्का शरीफ़ पहुंचा। वहाँ पहुँचकर आज़मीने उमरा ने तवाफ़, सई और अन्य अरकान अदा किए।

शहबाज़ आलम ने हरम शरीफ़ से बातचीत में बताया कि यह उनका बचपन का ख्वाब था कि वह अपनी अम्मी के साथ मक्का और मदीना शरीफ़ की हाज़िरी दें। उन्होंने कहा— “अल्लाह के फ़ज़्ल से दुआ कबूल हुई, और आज अपनी अम्मी के साथ हरम शरीफ़ में नमाज़ अदा कर पा रहा हूँ। मैंने मक्का शरीफ़ में मुल्क हिंदुस्तान और अपने शहर जबलपुर की अमन-खुशहाली के लिए ख़ास दुआ की है।”
रवानगी के मौक़े पर शहर की कई अहम हस्तियाँ, अज़ीज़ो-अक़ारिब और दोस्तों ने उन्हें दुआओं के साथ विदा किया। इनमें ख़ास तौर पर हाजी गुलाम मोहम्मद भूरे पहलवान साहब (वरिष्ठ कांग्रेस लीडर एवं समाज सेवक), जनाब खुर्शीद साहब (पुलाव वाले), मोहम्मद आज़म, डॉक्टर तिलमिजुर रहमान, नौशाद अहमद, मोहम्मद इरशाद गुड्डू राइन, अशफ़ाक़ राइन, ऐजाज़ राइन, इफ़ज़ाल राइन, सलमान राइन, मोहम्मद आसिफ (जनता स्टील), मोहम्मद हारिस, मोहम्मद अमीनूद्दीन, मोहम्मद सैफ़ुद्दीन, नासिर हुसैन, मक़सूद अहमद, डॉ. इमरान (गोल्डन हॉस्पिटल), जफ़र मंसूरी, शहनवाज़ सप्लायर, शोएब आलम, परवेज़ आलम, शाहिद अंसारी, हाफ़िज़ कमर आलम, गुलाम दस्तगीर आलम, फ़ैज़ान आलम, शकलैन रज़ा, अरहम अंसारी सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
लोगों ने दुआ की कि यह सफ़र-ए-उमरा उनके और उनकी अम्मी के लिए आसान, मक़बूल और मंज़ूर हो तथा वह सलामती के साथ वापिस लौटें।