
जबलपुर। कांग्रेस के पूर्व पार्षद शाबान मंसूरी को फेसबुक पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में शुक्रवार दोपहर घमापुर पुलिस ने मोतीनाला बरिया तले स्थित उनके निवास से हिरासत में लिया। बाद में उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से पुलिस ने जेल भेज दिया।
कोर्ट में पेशी के दौरान शबान मंसूरी के साथ मारपीट की घटना भी सामने आई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार करीब 30 से 35 वकील, जिनमें बड़ी संख्या में महिला वकील भी शामिल थीं, पहले से ही परिसर में मौजूद थे। उन्होंने मंसूरी को देखते ही उनके साथ हाथापाई कर दी। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने हस्तक्षेप किया और किसी तरह मंसूरी को बचाकर वहां से निकाला और जेल भेजा।
शाबान मंसूरी पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष जीएस ठाकुर की फेसबुक पोस्ट पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।

इस टिप्पणी को लेकर बुधवार शाम भाजपा के वरिष्ठ नेता जीएस ठाकुर, मंगन सिद्दीकी सहित 8-10 कार्यकर्ता घमापुर थाने पहुंचे थे। उन्होंने मंसूरी के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपा। घमापुर पुलिस ने मंसूरी पर बीएनएस की धारा 196, 197 और 299 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की और शुक्रवार को उन्हें हिरासत में लेकर कोर्ट में पेश किया।
शाबान को बात रखने का मौका नहीं दिया… !
मंसूरी के फेसबुक कमेंट का किसी ने समर्थन नहीं किया है. लेकिन एक बड़े वर्ग का तर्क है की यह कांग्रेस भाजपा के बीच का व्यक्तिगत राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप था, जिसे धार्मिक रंग दे दिया गया. शाबान मंसूरी पैर से पूरी तरह अपाहिज होन के बाद भी बीते 25-30 वर्षों से राजनीति और सामाजिक सेवा में सक्रिय रहे हैं. इतने लम्बे राजनीतिक जीवन में कभी शबान मंसूरी के खिलाफ आज तक कोई साम्प्रदायिक टिप्पणी या विवाद का मामला सामने नहीं आया। शाबान की क्षवि हमेशा हिन्दू मुस्लिम एकता के पक्षधर और गरीबों के लिये अपाहिज होने के बाद भी दौड़ने वाले नेता की रही है. कांग्रेस नेताओं का आरोप हैं की राजनीतिक दबाव में पुलिस ने बिना शाबान की बात सुने बिना एफआईआर दर्ज कर दी है. वो भी ऐसी धाराओं में जिनमें जल्द जमानत भी मुश्किल नजर आ रही है.
प्रतिष्ठित जय लोक अख्बार की 27 अगस्त 2025 की खबर. जिसमें पोस्ट और कमेंट का स्क्रीन शाट प्रकाशित है..
