
जबलपुर। बलदेवबाग चौक पर गुरुवार की रात हुआ हाईवोल्टेज ड्रामा पुलिस कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर गया। इस घटनाक्रम में भाजपा नेता प्रभात साहू के साथ जिस तरह का विवाद हुआ, उसने आम जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर समाज में सज्जन छवि रखने वाले, सभी को अच्छी तरह से परिचित और सम्मानित नेता के साथ पुलिस का ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो फिर एक आम आदमी की स्थिति क्या होती होगी।
सबकी नजर में सज्जन नेता
प्रभात साहू को पुलिस महकमे से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों और आमजनों तक, हर कोई एक सज्जन और सरल स्वभाव वाले नेता के तौर पर जानता है। उनकी पहचान हमेशा मिलनसार और सहयोगी के रूप में रही है। यही वजह रही कि जैसे ही उनके साथ पुलिसकर्मी का टकराव सामने आया, पूरा मामला गरमा गया और लोगों ने सवाल उठाया—“जब इतना बड़ा आदमी असम्मानित हो सकता है, तो आम आदमी को रोजाना कितनी जिल्लत झेलनी पड़ती होगी?”
चालानबाजी बनाम असली अपराध
लोगों का कहना है कि पुलिस को अपराधियों, माफियाओं और नशे के धंधे पर कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन इसके उलट फोकस सिर्फ चालानबाजी पर है। नो-एंट्री में दौड़ते ट्रक-डंपर, बढ़ता नशे का कारोबार और जुआ-सट्टा अनदेखा कर दिया जाता है, जबकि गलियों में आमजन को झपटकर चालान थमा दिया जाता है।
न्यायालय की फटकार भी बेअसर
माननीय न्यायालय ने हाल ही में पुलिस को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि चालान काटना ही जिम्मेदारी नहीं है, अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। इसके बावजूद पुलिस की प्राथमिकता अब भी रसीद-कट्टा ही बनी हुई है।
बलदेवबाग बना उदाहरण
गुरुवार की घटना ने यह साबित कर दिया कि शहर में पुलिसिंग सुधार की आवश्यकता है। सिपाही को लाइन अटैच करने भर से समस्या हल नहीं होगी। जनता की असली चिंता यह है कि जब प्रभात साहू जैसे सज्जन और सबको परिचित नेता को पुलिस अपमानित कर सकती है, तो साधारण आदमी के साथ रोजाना किस स्तर का व्यवहार होता होगा।