बरेली में एंट्री बैन! कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और दानिश अली नज़रबंद। 70 से ज़्यादा गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश सरकार ने बरेली में बिगड़े हालात और बढ़ते विरोध स्वरों को रोकने के लिए सख़्त कदम उठाए हैं। बुधवार को सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और पूर्व अमरोहा सांसद कुँवर दानिश अली को पुलिस ने उनके घरों में नज़रबंद कर दिया। दोनों नेता हिंसा प्रभावित बरेली का दौरा करने वाले थे, जहाँ “आई लव मुहम्मद” अभियान पर पुलिस कार्रवाई के बाद से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।

विपक्षी नेताओं को रोकने की कार्रवाई
दोनों सांसदों ने उन परिवारों से मिलने का कार्यक्रम घोषित किया था जिनके सदस्य पुलिस कार्रवाई में गिरफ़्तार हुए हैं। ज़िला प्रशासन ने इसे रोकते हुए कहा कि यह दौरा “तनाव को और भड़का सकता है” और क़ानून-व्यवस्था को बिगाड़ सकता है।
कुँवर दानिश अली ने मक़तूब से कहा,
“पिछली रात से ही मेरे घर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है। मुझे बाहर निकलने से रोका जा रहा है।”
उन्होंने इसे “अलोकतांत्रिक कार्रवाई” बताते हुए आरोप लगाया कि यूपी सरकार और प्रशासन पुलिस शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं ताकि मुसलमानों के साथ एकजुटता की आवाज़ को दबाया जा सके।
अली ने योगी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा:
“जितना आप अन्याय के ख़िलाफ़ उठने वाली आवाज़ों को दबाएँगे, वे उतनी ही बुलंद होंगी। बरेली को साज़िशन हिंसा की ओर धकेला गया है। निर्दोष युवाओं को गिरफ़्तार किया जा रहा है, दुकानों को सील किया जा रहा है। सरकार तानाशाही की राह पर है और पुलिस का इस्तेमाल डराने-धमकाने के लिए कर रही है।”
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद की प्रतिक्रिया
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी आरोप लगाया कि उनकी यात्रा को रोकना सरकार की “नाकामी छिपाने की कोशिश” है।
उन्होंने कहा,
“मैं बरेली के डीआईजी से मिलने और हालात का जायज़ा लेने जा रहा था। लोगों ने मुझे बुलाया था। लेकिन मुझे घर में कैद कर दिया गया। प्रशासन कहता है हालात अच्छे नहीं हैं, तो इसका मतलब है कि सरकार क़ानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी “साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में अपनी नाकामी छिपा रही है और 2027 के चुनाव के डर से ऐसे हथकंडे अपना रही है।”
हालात अब भी तनावपूर्ण
बरेली और आसपास के इलाक़ों में भारी पुलिस बल की तैनाती जारी है। इंटरनेट सेवाएँ बहाल कर दी गई हैं, लेकिन सोशल मीडिया की कड़ी निगरानी की जा रही है। अब तक 70 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है, जिनमें इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा भी शामिल हैं। उनके सहयोगियों की संपत्तियों पर बुलडोज़र कार्रवाई भी जारी है।
बरेली हिंसा के बाद यूपी सरकार विपक्षी नेताओं को नज़रबंद कर मैदान से बाहर रखने की रणनीति अपना रही है। सवाल यह है कि क्या यह कदम शांति बनाए रखने के लिए है या फिर आलोचनात्मक आवाज़ों को दबाने की कोशिश?