जानलेवा बना कफ सिरप: छिंदवाड़ा में बच्चों की मौतों से मचा हड़कंप, जबलपुर में डिस्ट्रीब्यूटर के यहां छापा — तमिलनाडु में बैन, राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर निलंबित

BAZ News Network। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बीते एक महीने के भीतर दर्जनों बच्चों की रहस्यमयी मौतों के बाद अब मामला पूरे देश में सनसनी का विषय बन गया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि जिन बच्चों की मौत हुई, उन्हें खांसी-जुकाम के इलाज के लिए कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया गया था। जांच एजेंसियों को शक है कि इस सिरप में ब्रेक ऑयल सॉल्वेंट जैसे खतरनाक केमिकल की मिलावट हुई थी, जिससे मासूमों की किडनी फेल हो गई।
इस खुलासे के बाद न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। तमिलनाडु सरकार ने जहां इस सिरप की बिक्री और निर्माण पर पूरी तरह से रोक लगा दी है, वहीं राजस्थान सरकार ने अपने राज्य औषधि नियंत्रक को निलंबित करते हुए जयपुर स्थित केसन्स फार्मा की सभी दवाओं की सप्लाई रोक दी है।
🔍 जबलपुर में फार्मास्यूटिकल डिस्ट्रीब्यूटर पर छापा
छिंदवाड़ा से जुड़े सिरप सप्लाई चेन की जांच में अब जबलपुर का लिंक सामने आया है। औषधि विभाग की टीम ने शनिवार को ओमती थाना क्षेत्र स्थित कटारिया फार्मासिटिकल्स पर छापा मारा।
स्वास्थ्य विभाग के पांच सदस्यीय दल ने वहां से दस्तावेज, स्टॉक रजिस्टर और सिरप के नमूने जब्त किए।
जबलपुर के डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि उन्होंने चेन्नई स्थित कंपनी से 660 शीशियां कोल्ड्रिफ सिरप की मंगाई थीं, जिनमें से 594 शीशियां छिंदवाड़ा के तीन स्टॉकिस्टों को भेजी गईं।
शेष 66 शीशियों में से 16 का सैंपल जांच के लिए लिया गया है और बाकी को सील कर दिया गया है।
उन्होंने दावा किया कि सिरप की कोई सप्लाई जबलपुर में नहीं की गई थी, जिससे शहर में घबराहट की स्थिति न बने।
🧪 जांच और कार्रवाई की बड़ी लाइनें
- दिल्ली और चेन्नई के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने कांचीपुरम स्थित दवा निर्माण इकाई का निरीक्षण किया है।
- तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर से इस सिरप के निर्माण और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।
- राजस्थान में केसन्स फार्मा द्वारा बनी 19 दवाओं की आपूर्ति भी अगले आदेश तक रोकी गई है।
- केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप न दिया जाए।
🗣️ छिंदवाड़ा से उठे सवाल, कमलनाथ ने जताई चिंता
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि
“छिंदवाड़ा में बच्चों की मौतें सिर्फ एक हादसा नहीं, एक गहरी लापरवाही का नतीजा हैं। सरकार को तुरंत यह बताना चाहिए कि यह जहरीला सिरप बाजार में कैसे पहुंचा और किसने इसकी अनुमति दी।”
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक छिंदवाड़ा में अब तक 12 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है और कई अन्य बीमार हैं। दिल्ली से आई टीम ने संदिग्ध सिरप के सेवन से किडनी फेल होने की संभावना जताई है।
⚠️ क्या है डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड?
कोल्ड्रिफ सिरप में पाया जाने वाला यह कंपाउंड खांसी रोकने वाला एक सक्रिय तत्व है। इसे बच्चों को बहुत सीमित मात्रा में ही दिया जा सकता है।
लेकिन गलत फॉर्मुलेशन या मिलावट के कारण यह गंभीर किडनी डैमेज और न्यूरोलॉजिकल समस्या पैदा कर सकता है।
📍 मध्य प्रदेश में बढ़ी सतर्कता, जबलपुर में निगरानी बढ़ी
जबलपुर के औषधि निरीक्षक ने बताया कि
“राज्य स्तर से निर्देश मिलते ही सभी डिस्ट्रीब्यूटर और फार्मेसी पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
संदिग्ध बैच की पहचान कर उसे तत्काल बाजार से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।”
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी घर में कोल्ड्रिफ या इसी फॉर्मूलेशन वाले सिरप की बोतल रखी है, तो उसे बच्चों को बिल्कुल न दें और नजदीकी सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र को जमा कराएं।
छिंदवाड़ा से शुरू हुआ यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर का ड्रग सेफ्टी अलर्ट बन चुका है। तमिलनाडु से लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश तक स्वास्थ्य एजेंसियां सक्रिय हैं।
जबलपुर में की गई छापेमारी से स्पष्ट है कि इस खतरनाक सिरप की सप्लाई चेन पूरे मध्य भारत में फैली हुई थी। अब सभी की निगाहें सरकारी लैब की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि बच्चों की मौत के पीछे सच में यह सिरप ही जिम्मेदार है या कुछ और।