गाज़ा में कत्लेआम थमने की आस: ट्रंप की शांति पहल पर हमास की हामी, बेघर फ़लस्तीनियों ने जताई “अमन की उम्मीद”

हमास ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना पर हामी भरते हुए सभी बंदियों की रिहाई के लिए बातचीत शुरू करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा कि उनका विश्वास है कि फ़लस्तीनी समूह “स्थायी अमन” के लिए तैयार है और उन्होंने इज़राइल से तुरंत बमबारी रोकने की मांग की। इस खबर के बाद गाज़ा की तबाह गलियों और राहत कैंपों में बेघर फ़लस्तीनियों के बीच पहली बार जश्न और उम्मीद की हवा बही। लोग कह रहे हैं — “अब जंग रुके, हम अपने घर लौटें।”
गौरतलब है की तीन दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोलांड ट्रंप ने अरब देशों और फिर इजरायल प्रधानमंत्री के साथ बैठक कर 20 प्लांट सीजफायर एग्रीमेंट प्लान पेश किया था. जिसमें जहां इजरायल की फौज के गाजा खाली करने की बात की गई थी, वहीं हमास को भी गाजा का शासन छोड़ने की शर्त थी. वहीं इस एग्रीमेंट में एक नई इंटरनेशनल फोर्स (ISF) बनाने की बात की गई थी, जिसमें अलग अलग देशों से सिपाही लिये जाएंगे जो गाजा की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाएंगे. ट्रंप के सीजफायर प्लान के बाद इजरायल ने प्लान को मंजूरी दे दी थी, हमास के जवाब का इंतजार था. शनिवार को हमास ने प्लान पर हामी भर दी है.
गाज़ा/नई दिल्ली/वॉशिंगटन। गाज़ा की जंग में पहली बार अमन की उम्मीद दिख रही है। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि हमास अब स्थायी शांति के लिए तैयार है और उन्होंने इज़राइल से तुरंत बमबारी रोकने की अपील की। ट्रंप ने कहा कि बंदियों की रिहाई और बातचीत के ज़रिए पूरे मध्य-पूर्व में अमन का रास्ता निकल सकता है।
हमास ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप की शांति योजना के मुताबिक़ सभी “इज़राइली बंदियों, चाहे ज़िंदा हों या मर चुके” को रिहा करने की सहमति जताई है। संगठन ने साफ़ कहा कि वह मध्यस्थों के ज़रिए तुरंत बातचीत शुरू करने के लिए तैयार है।
ट्रंप का संदेश: “अब अमन का वक़्त है”
ट्रंप ने अपने प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा:
“हमास द्वारा जारी बयान के आधार पर मेरा मानना है कि वे स्थायी शांति के लिए तैयार हैं। इज़राइल को गाज़ा पर बमबारी तुरंत रोकनी चाहिए ताकि बंदियों को सुरक्षित निकाला जा सके। यह केवल गाज़ा का मामला नहीं, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व में लंबे समय से चाही जा रही अमन की शुरुआत है।”
हमास की प्रतिक्रिया: “बंदियों की रिहाई और बातचीत को तैयार”
हमास ने अपने बयान में कहा कि वह ट्रंप की पहल का स्वागत करता है और युद्ध रोकने, कैदियों की अदला-बदली और गाज़ा से कब्ज़ा हटाने की मांग से सहमत है। संगठन ने यह भी कहा कि गाज़ा पट्टी का प्रशासन एक फ़लस्तीनी राष्ट्रीय सहमति पर आधारित टेक्नोक्रेट निकाय को सौंपा जा सकता है।
गाज़ा में सन्नाटा, लेकिन भूख और बेघरपन जारी
पिछले 24 घंटों में गाज़ा के कई हिस्सों में असामान्य सन्नाटा देखने को मिला। भारी मशीनगनों, ड्रोन और बमबारी की आवाज़ें कम हो गई हैं। सिर्फ़ उत्तरी गाज़ा सिटी में दो-तीन धमाकों की ख़बर है, जो पहले से लगाए गए बमों के फटने से हुए।
केंद्रीय और दक्षिणी गाज़ा में लोग अब जश्न जैसा माहौल महसूस कर रहे हैं। टेंटों में रह रहे विस्थापित लोग एक-दूसरे से पूछ रहे हैं – “क्या अब हम गाज़ा सिटी लौट सकते हैं?” हालांकि प्रशासन ने साफ़ कहा है कि अभी इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है और आधिकारिक ऐलान का इंतज़ार करना होगा।
बेघर फ़लस्तीनियों की आवाज़ें
- अवाहिर अल-फ़रानी (45 वर्ष): “हम खुश हैं कि जंग रुकने वाली है। हम भूख, बेघरपन और खूनखराबे से थक चुके हैं। अब बस अपने घर लौटना चाहते हैं।”
- सऊद क़रनीता (32 वर्ष): “शुक्र है कि हमास ने मान लिया। अल्लाह करे ट्रंप जंग रोकें। खुदा की क़सम, हम बहुत ज़िल्लत झेल चुके हैं।”
- फ़दल अल-देबस (52 वर्ष): “ट्रंप ने इज़राइल से फायरबंदी की मांग की है। यह सही फ़ैसला है, भले ही यह दो साल की तबाही और क़ुर्बानियों के बाद आया।”
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
यूएन विशेषज्ञों ने भी स्थायी युद्धविराम की उम्मीद जताई है, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि किसी भी शांति योजना में फ़लस्तीनियों के इंसानी हक़ों की पूरी गारंटी होनी चाहिए। विस्थापन और कब्ज़ा जारी रहा तो यह “नया अन्याय” ही साबित होगा।
भारत में प्रतिक्रिया: अमन की आस
भारत के मुसलमानों ने इस पहल को राहत और उम्मीद का पैग़ाम बताया है। दिल्ली, लखनऊ और हैदराबाद में सामाजिक संगठनों ने कहा कि अगर यह पहल कामयाब होती है तो गाज़ा ही नहीं, पूरी दुनिया में अमन की नई मिसाल बनेगी।
अलीगढ़ के एक आलिम ने कहा: “हम दुआ करते हैं कि यह कोशिश सियासत की भेंट न चढ़े और गाज़ा की सरज़मीं पर अमन क़ायम हो।”
निष्कर्ष
गाज़ा में बमबारी की आवाज़ें धीमी पड़ी हैं, लोगों के बीच उम्मीद की हलचल है। लेकिन अभी भी भूख, बेघरपन और अनिश्चितता कायम है।
क्या यह वाक़ई अमन की शुरुआत है या फिर एक और अधूरी कोशिश? यह आने वाले दिनों में साफ़ होगा।