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मॉब लिंचिंग ! रायबरेली में दलित युवक की भीड़तंत्र हत्याः ‘हम बाबा के आदमी हैं’ कहते हुए पीटा गया ! राहुल गांधी ने की परिवार से बात

रायबरेली, उत्तर प्रदेश: – फ़तेहपुर कोतवाली के 38 वर्षीय दलित युवक हरिओम को रायबरेली में “ड्रोन चोरी” के शक में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। उनका क्षत-विक्षत, अर्धनग्न शव 2 अक्टूबर को ईश्वरदासपुर रेलवे स्टेशन के पास मिला।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि हमलावरों ने उनकी हत्या के दौरान मज़ाक करते हुए कहा, “हम बाबा (योगी आदित्यनाथ) के आदमी हैं।”

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घटना की जानकारी के अनुसार, हरिओम बुधवार रात लगभग 1 बजे ऊँचाहार-डलमौन मार्ग पर दादेपुर मजरे ईश्वरदासपुर की ओर जा रहे थे, तभी लगभग 25 ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया। हरिओम ने अपनी बेगुनाही जताई और बताया कि वह पास के गाँव में रहते हैं, लेकिन ग्रामीणों ने उस पर विश्वास नहीं किया।

उन्होंने लाठियों और बेल्ट से पीटना शुरू कर दिया। उन्हें एक खंभे से बाँधकर बेरहमी से पीटा गया और अंततः 2 अक्टूबर को रेलवे ट्रैक के पास मृत पाया गया।

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पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है, जिनमें से छह को हिरासत में लिया गया है। पांच आरोपियों – वैभव सिंह, विपिन मौर्य, सहदेव पासी, सुरेश मौर्य और विजय कुमार – को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया।

कांग्रेस ने कहा कि यह हत्या उन अफवाहों के बीच हुई है, जिनमें आरोप लगाया गया था कि “ड्रोन चोर” गाँवों की जासूसी कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है।

कांग्रेस ने इस घटना को योगी आदित्यनाथ सरकार के तहत दलितों के खिलाफ अपराधों में बढ़ती लापरवाही के रूप में देखा। राहुल गांधी ने पीड़ित परिवार से फ़ोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की और न्याय की लड़ाई में समर्थन का भरोसा दिया।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस लिंचिंग को “भयावह” और “दिल दहला देने वाला” बताया। उन्होंने कहा कि मृतक आखिरी समय तक न्याय की उम्मीद में राहुल गांधी का नाम ले रहा था।

समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान ने कहा कि लोकतंत्र सभी को समानता का अधिकार देता है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार इस अधिकार को गंभीरता से नहीं ले रही।

आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह घटना दर्शाती है कि नफ़रत और भीड़तंत्र का ज़हर समाज में फैल रहा है, जबकि सरकार केवल नारों और दिखावटी एकता में व्यस्त है।

विशेषज्ञों का मानना है कि दलितों के खिलाफ लिंचिंग घटनाएँ अक्सर गोहत्या, चोरी, ज़मीन विवाद या जातिगत आरोपों से उपजती हैं। हालांकि अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत संवैधानिक सुरक्षा मौजूद है, फिर भी कानून प्रवर्तन में विफलताओं और जातिवाद के चलते ऐसी घटनाएँ जारी रहती हैं।

कांग्रेस और विपक्ष ने इस घटना को उत्तर प्रदेश में कानून और व्यवस्था की विफलता के रूप में प्रस्तुत किया है और दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग की है।

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