DuniaNewsफ़िलिस्तीनमिडिल ईस्ट

गाज़ा में शांति की पहली सुबह । इज़राइल ने हथियार डाले । जंग बंद । बेगुनाहों फिलिस्तीनियों को मिली राहत की सांस

महीनों तक चली खून और बारूद की लड़ाई, बर्बाद बस्तियों और बेघर हुए लाखों फ़िलिस्तीनियों के बीच अब एक नई उम्मीद जन्मी है। आखिरकार आज सुबह हमास और इज़राइल के बीच जंग बंद (Ceasefire) पर सहमति बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, मिस्र और क़तर की मध्यस्थता में हुआ यह समझौता गाज़ा में जारी विनाश को रोकने की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

इस युद्धविराम के तहत दोनों पक्षों ने तुरंत फायरिंग रोकने, मानवीय राहत पहुँचाने, और बंधकों व कैदियों की रिहाई पर सहमति जताई है।

गाज़ा के एक नागरिक ने अल-जज़ीरा को बताया,

“हम नहीं जानते यह सुकून कितने दिनों का है, लेकिन कम से कम आज हमारे बच्चे सो पाएंगे।”

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संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने इस कदम का स्वागत करते हुए इसे “स्थायी शांति की उम्मीद की शुरुआत” बताया है।

गाज़ा की गलियों में अब पहली बार सन्नाटा और सुकून महसूस किया जा रहा है —
जहाँ कल तक गोलियों की आवाज़ थी, वहाँ आज बच्चे राहत के सामान बाँटते राहतकर्मियों को देख मुस्कुरा रहे हैं।

🕊️ “यह सिर्फ़ जंग बंद नहीं, बल्कि गाज़ा के बेगुनाहों के लिए सांस लेने का पहला मौका है।”


🔹 समझौते में क्या तय हुआ है?

इस पहले चरण का मकसद गाज़ा के आम लोगों तक राहत पहुंचाना है —

  1. तुरंत फायरिंग बंद: दोनों पक्ष अब किसी भी सैन्य कार्रवाई को रोकेंगे।
  2. इज़राइली सेना की सीमित वापसी: सेना कुछ इलाकों से हटेगी ताकि राहत सामग्री और डॉक्टरों की टीम अंदर जा सके।
  3. मानवीय सहायता की मंजूरी: संयुक्त राहत एजेंसियाँ भोजन, दवा और ईंधन लेकर गाज़ा के अंदर जा सकेंगी।
  4. बंधकों और कैदियों की रिहाई: अगले 48 घंटे में हमास इज़राइली बंधकों को छोड़ेगा, बदले में इज़राइल लगभग 2,000 फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई करेगा — जिनमें कई नाबालिग और महिलाएँ भी शामिल हैं।

🔹 गाज़ा में मानवीय त्रासदी का अंत नहीं, लेकिन एक शुरुआत

युद्ध के दौरान गाज़ा में हज़ारों नागरिक मारे गए, जिनमें बच्चे और महिलाएँ सबसे ज़्यादा थीं।
हज़ारों परिवार अब भी बेघर हैं, स्कूल और अस्पताल मलबे में बदल चुके हैं।
यह समझौता इस त्रासदी के बीच एक पहली राहत की सांस लेकर आया है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, गाज़ा के करीब 70% लोग अब भी विस्थापित हैं।


🔹 अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस समझौते को “दो साल की सबसे बड़ी प्रगति” बताया।
मिस्र और क़तर ने इसे शांति की दिशा में शुरुआती कदम कहा, जबकि यूरोपीय यूनियन ने चेतावनी दी कि “जमीन पर भरोसे और जिम्मेदारी से ही यह समझौता टिकेगा।”
राहत एजेंसियाँ अब गाज़ा में खाद्य और चिकित्सा आपूर्ति की तैयारी में जुट गई हैं।


🔹 बाज मीडिया का विश्लेषण: शांति से पहले इंसाफ ज़रूरी

यह युद्धविराम गाज़ा के मासूम, बेगुनाह फ़िलिस्तीनियों के लिए राहत का पल ज़रूर है,
लेकिन असली शांति तभी आएगी जब इंसाफ और बराबरी को जगह मिलेगी।
पिछले कई दशकों से फ़िलिस्तीनी जनता घरों से बेघर, हक़ से महरूम और सुरक्षा से वंचित है।
इस समझौते के बाद उम्मीद है कि दुनिया अब सिर्फ़ युद्ध रोकने की नहीं, बल्कि फ़िलिस्तीन को न्याय दिलाने की बात भी करेगी।


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