वीडियो कॉल पर दिखाया फर्जी वारंट, 76 लाख उड़ाए! IPS–CBI बनकर ‘जबलपुर’ में डिजिटल अरेस्ट गैंग की हैरान कर देने वाली वारदात

जबलपुर। डिजिटल अरेस्ट स्कैम का नया मामला शहर में सामने आया है, जिसमें साइबर ठगों ने खुद को उच्च पदस्थ अधिकारी बताकर 72 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक से 76 लाख रुपये ऐंठ लिए। संजीवनी नगर निवासी अनिल कुमार नन्हौरया ठगों के झांसे में आ गए और मानव तस्करी के फर्जी केस में फँसाने की धमकी देकर उनसे भारी रकम वसूल ली गई। पीड़ित की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे शुरू हुआ मामला
22 नवंबर को अनिल कुमार के फोन पर मोबाइल नंबर 8790928235 से कॉल आया। कॉलर ने खुद को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम का कर्मचारी बताते हुए कहा कि उनके नाम पर जारी एक सिम से लोगों को धमकी दी जा रही है और दिल्ली में केस दर्ज है।
इसके बाद पीड़ित को एक अन्य नंबर 9573352514 पर बात करने को कहा गया, जहाँ कॉल उठाने वाले ने स्वयं को IPS विजय कुमार बताया।
वीडियो कॉल पर भेजे केस के फर्जी दस्तावेज
IPS बनकर बात करने वाले व्यक्ति ने वीडियो कॉल किया और व्हाट्सऐप पर मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) संबंधी फर्जी दस्तावेज भेजे। उसने दावा किया कि पीड़ित का नाम सदाकत खान ह्यूमन ट्रैफिकिंग केस में आया है और आरोपी के पास मिला ATM पीड़ित का है।
ठगों ने कहा कि उन्हें दिल्ली आकर बयान दर्ज कराना होगा। लगातार दबाव बनाते हुए और गिरफ्तारी वारंट का फर्जी पेपर दिखाकर उन्हें डराया गया।
“सीक्रेट मिशन है, किसी को बताया तो जेल हो जाएगी”
ठगों ने पीड़ित को यह कहकर मानसिक रूप से दबाव में ला दिया कि यह “अत्यंत गोपनीय मिशन” है।
कहा गया कि किसी को भी जानकारी देने पर 3 साल की जेल और 5 लाख का जुर्माना हो सकता है।
यही नहीं, उन्हें हर तीन घंटे में अपनी लोकेशन और गतिविधियाँ व्हाट्सऐप पर भेजने के निर्देश मिले।
इसके बाद पीड़ित को कथित CBI अधिकारी कीर्ति सान्याल से भी बात कराई गई, जिसने “तुरंत प्रायोरिटी इन्वेस्टिगेशन” कराने का दबाव बनाया।
“सुप्रीम कोर्ट के खाते में जमा करवाओ सारी रकम”
जालसाजों ने कहा कि जांच के लिए पीड़ित के सभी बैंक डिपॉजिट, यहां तक कि फिक्स्ड डिपॉजिट, तुरंत “सुप्रीम कोर्ट के वेरिफिकेशन अकाउंट” में जमा करने होंगे।
ठगों ने भरोसा दिलाया कि रकम जांच के बाद लौटा दी जाएगी।
डरे-सहमे वरिष्ठ नागरिक ने अपना एफडी समय से पहले तुड़वाया और पूरी रकम एसबीआई कमला नेहरू नगर शाखा वाले खाते में जमा कर दी, जिसके बाद ठगों ने 76 लाख रुपये एक अज्ञात खाते में ट्रांसफर करा लिए।
पुलिस की कार्रवाई
शिकायत मिलने पर क्राइम ब्रांच थाना ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और आईटी एक्ट की धारा 66(D) के तहत अपराध दर्ज कर लिया है।
पुलिस अब—
- ठगों के मोबाइल नंबर,
- बैंक अकाउंट,
- कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR)
की जांच कर रही है। साथ ही साइबर सेल की मदद से लेन-देन का तकनीकी विश्लेषण भी शुरू किया गया है।
बढ़ते डिजिटल अरेस्ट स्कैम ने बढ़ाई चिंता
शहर में वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाने वाले इस तरह के ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम लगातार बढ़ रहे हैं। अधिकारी बनकर धमकाना, मानव तस्करी जैसे गंभीर मामलों में फँसाने की धमकी देना और फर्जी दस्तावेज वीडियो कॉल पर दिखाकर रकम ट्रांसफर कराना अब ठगों की आम रणनीति बन गई है।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि इस प्रकार के किसी भी कॉल पर विश्वास न करें और तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराएं



