UNO में इजरायल को झटका, फिलिस्तीन की आज़ादी के समर्थन में पड़े बंपर वोट

संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ़िलिस्तीन की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव को बहुमत से मंजूरी मिल गयी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फ़िलिस्तीन की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव के लिए मतदान किया जिसमें 143 देशों ने पक्ष में और 30 देशों ने विरोध में मतदान किया। वोटिंग के दौरान 25 देश सदन से अनुपस्थित रहे. भारत ने फिलिस्तीन पर आए इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
इससे पहले फ़िलिस्तीनी राजदूत ने कहा था कि प्रस्ताव पर हाँ वोट फ़िलिस्तीनियों के अस्तित्व के पक्ष में वोट है, यह वोट किसी राज्य के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि फ़िलिस्तीनियों को उनके राज्य से वंचित करने के प्रयासों के ख़िलाफ़ है।
उन्होंने कहा कि आज आपका वोट फिलिस्तीनियों के साथ आपकी एकजुटता के बारे में बहुत कुछ कहेगा और यह दिखाएगा कि आप कौन हैं और आप किसके लिए खड़े हैं, हम शांति से रहना चाहते हैं।

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि गाजा में 35,000 से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हुए हैं, जबकि 80,000 घायल हुए हैं और 20 लाख से अधिक विस्थापित हुए हैं.

फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य हो या नहीं, इसके लिए 10 मई को जनरल असेंबली में वोटिंग हुई. 193 सदस्यीय महासभा ने फिलिस्तीन पर वोट किया. यह संयुक्त राष्ट्र का पूर्ण सदस्य बनने के लिए फिलिस्तीनी प्रयास का एक वैश्विक सर्वे था. इसे एक ऐसा कदम माना जा रहा है, जो प्रभावी रूप से फिलिस्तीन को राष्ट्र की मान्यता देगा.
ये प्रस्ताव ऐसे समय में पास हुआ है, जब इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पिछले 7 महीने से जंग चल रही है. पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इज़रायल पर हमला किया था. इसके बाद से यह युद्ध जारी है. 10 मई को फिलिस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इजरायली हमले में अब तक 34,943 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 78 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटों में 39 लोग मारे गए और 58 घायल हुए.
सुरक्षा परिषद फिर करे विचार
रिजोल्यूशन ने निर्धारित किया कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के मुताबिक फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए योग्य है और इसलिए उसे यूएन का सदस्य बनाना चाहिए। इसने सिफारिश की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद फिलिस्तीन की सदस्यता पर फिर विचार करे। भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था। 1988 में भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में एक था।