कोबरा के बच्चे पैदा होते ही जहर विकसित कर लेते हैं
सांपों की सबसे जहरील प्रजातियों में शुमार किंग कोबरा भारत-चीन समेत दक्षिण एशियाई देशों में पाई जाती है। इनका आकार और गर्दन का पैटर्न अन्य कोबरा से बिल्कुल अलग होता है। ये काफी आक्रामक भी होते हैं। किंग कोबरा के मुंह में सामने की ओर खोखले दांत होते हैं जो ऊपरी जबड़े से जुड़े होते हैं।
इनके जबड़ों में इतनी ताकत नहीं होती कि अपने शिकार को नुकीले दांतों से पकड़ सकें। इसके बजाय ये जहर इंजेक्ट करते हैं। शिकार को डराने के लिए अपने गर्दन को हिलाते हैं और हिस्स की आवाज निकालते हैं। किंग कोबरा सांप छोटा हो या बड़ा, सब एक ही तरह से रिएक्ट करते हैं। लेकिन सांप छोटा है, यह देखकर कभी लापरवाही न करें। वे छोटे भले हो सकते हैं, लेकिन उनमें उतना ही जहर होता है जितना एक वयस्क किंग कोबरा सांप में होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोबरा के बच्चे पैदा होते ही जहर विकसित कर लेते हैं। स्तनधारियों और पक्षियों के विपरीत कोबरा मादा केवल अंडों की तब तक रक्षा करती है जब तक कि वे फूट न जाएं। अंडे सेने के बाद कोबरा के बच्चे अकेले होते हैं। इसलिए उनमें शिकार करने की, और खुद को शिकारियों से बचाने की पूरी क्षमता होती है।
कभी-कभी कोबरा के बच्चे अधिक घातक होते हैं, क्योंकि उन्हें नहीं पता होता कि एक बार काटने पर कितना जहर इंजेक्ट करना होता है। इसलिए अक्सर वे अपने पास मौजूद ज्यादातर जहर एक ही बार में इंजेक्ट कर देते हैं। बड़े किंग कोबरा सांप बचाव के लिए अपना जहर बर्बाद नहीं करना चाहते, लेकिन बच्चों की कहानी अलग है। क्योंकि वे इतने छोटे और कमजोर होते हैं कि घबरा जाते हैं। इसीलिए बेहद आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं। यही वजह है कि उनके काटने की संभावना ज्यादा होती है। बता दें कि किंग कोबरा धरती पर मौजूद सबसे जहरीले सांपों में से एक हैं। रिसर्च से इस बात की पुष्टि हुई है कि अगर ये काट लें और सही इलाज न मिले तो कुछ घंटों में ही इंसान की मौत हो जाती है।