शानो शौकत से निकला कचहरी वाले बाबा का शाही संदल जुलूस

आज दुनिया में नफरत आम है। उस नफरत और हिंसा को अमन और खुशहाली में बदलने का रास्ता सिर्फ बुजुर्गाने दीन की तालीमात में मौजूद है। आज की नौजवान पीढ़ी को बुजुर्गों की तालीमात सुननी और पढ़नी चाहिये। इससे उनकी जिदंगी भी रौशन होगी और मुल्क में भी खुशहाली आएगी। यह बात कचहरी वाले बाबा दरगाह के सज्जादानशीन बाबर खा बन्दानवाजी ने शाही संदल जुलूस के समापन पर कचहरी दरगाह में कहे। ख़ादिमे आला मोहतरम चंगेज खान अशरफी ने मुल्क अमन खुशहाली और भाईचारे की दुआ फरमाई, जिस पर संदल जुलूस में मौजूद सैंकड़ी अकीदतमंदों ने आमीन कहा।

शहर और हिन्दुस्तान के लाखों अकीदतमंदों के दिलों में कचहरी वालो बाबा के नाम से बसने वाले हजरत ख्वाजा अमीनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का शाही संदल जुलूस शानों शौकत और परम्पराओं के साथ सुफी बजुर्गों की कयादत और उलेमाओं किराम की रहनुमाई में जुमेरात के दिन नये मोहल्ले स्तिथ मरहूम चांद खा के मकान से रवाना हुआ। जो मगरिब के करीब दरगाह शरीफ पहुंचा। जहां चादर गुल पोशी दुआ और लंगर के साथ संदल जुलूस का इख्तिताम हुआ।
शाही संदल जुलूस की कयादत सज्जादानशीन बाबर खा बन्दानवाजी एवं ख़ादिमे आला चंगेज खान अशरफी ने की। शाही जुलूस मे सजे धजे ई रिक्शों पर हरे परचम लहरा रहे थे। तख्तियों पर बुजुर्गाने दीन के कौल व उपदेश लिखे हुए थे। बैंड बाजा, भांगड़ा, सजी हुई बघघीया जुलूस मे शामिल होकर रौनक बढ़ा रही थी। अक़ीदत मंद क़व्वालों पर नजराना लुटा रहे थे। शहनाई वादक नातिया धुनें पेश कर रहे थे। शेर की पोशाक पहने हुए कलाबाज भी जुलूस मे शामिल हुए।
जुलूस मे शामिल सूफ़ी हजरात व सभी धर्मालम्बियों ने सद्धभावना और शांति का संदेश दिया। लगभग 2 किलोमीटर लम्बे मार्ग बड़ी ओमती, छोटी ओमती, पेशकारी, तहसीली चौक होते हुए जुलूस कचहरी दरगाह पहुँचा जहाँ परंपरानुसार मजार शरीफ पर चादर पोशी व गुल पोशी की गई। जुलूस मे नागपुर के मशहूर कोड़े बरसाने वाले मलंग जनआकर्षन का केंद्र रहे। मलंग हजरात जब लहराते हुए कोड़े अपने जिस्म पर फटकारते तो लोग रोमांचित हो जाते । जुलूस मार्ग पर चलते हुए राहगीर भी मलंगो के कारनामे देख हैरत मे पढ़ गये।
महफिले सिमां कल
हिंदुस्तान के मशहूर क़व्वाल रेहान अली साबरी ( मेरठ) 31 मई को रात्रि 10 बजे अपनी क़व्वाली पेश करेंगे। ख़ादिमे आलचंगेज खान अशरफी ने अक़ीदतमंदो से शिरकत की गुजारिश की है।