Indian MuslimJabalpurMadhya PradeshNational

मध्य प्रदेश के 60 लाख मुसलमानों की आवाज जनाब ‘आरिफ अकील साहब का इंतकाल’

72 साल की उम्र में सोमवार सुबह आखरी सांस ली

आप अपने पीछे छोड़ गये एक अजीम राजनीतिक और सामाजिक विरासत, जो आने वाली कई पीढिय़ों की रहनुमाई करती रहेगी।

1990 से साल 2024 तक भोपाल और पुराने भोपाल की पूरी राजनीति मोहतरम आरिफ अकील के इर्द गिर्द घूमती रही। भाजपा उन्हें कभी हर नहीं पाई। उनकी सीट, कांग्रेस का एक ऐसा अभेद किला रही, जिसपर कभी कोई लहर असर नहीं कर सकी।

विज्ञापन

आरिफ अकील भोपाल के नहीं पूरे मध्य प्रदेश के मुसलमानों के राजनीतिक रहनुमा माने जाते थे। वहीं उनकी गिनती हमेशा से प्रदेश के टॉप 05 कांग्रेस नेताओं में रही। मोहरतम आरिफ अकील के इंतकाल से भोपाल ही नहीं पूरे मध्य प्रदेश के मुसलमान गमगीन है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अपने सरपस्त से महरूम हो गई है।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ और दिग्गज नेता आरिफ अकील का निधन हो गया। सोमवार सुबह उन्होंने भोपाल के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। बता दें कि वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 1990 में आरिफ पहली बार विधायक बने थे। भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट से आरिफ 6 बार के विधायक रह चुके हैं। वहीं, दो बार मध्य प्रदेश सरकार (पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार) में मंत्री के पद पर भी बने रहे। उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण, जेल और खाद्य विभाग सौंपा गया था। हालांकि, खराब सेहत रहने की वजह से आरिफ अकील ने 2023 में भोपाल उत्तर विधानसभा सीट से अपने बेटे आतिफ अकील को टिकट दिलवाया। वर्तमान में आतिफ भोपाल उत्तर से विधायक हैं। 72 वर्षीय आरिफ हृदय रोग से परेशान चल रहे थे। इलाज के लिए वह भोपाल के अपोलो सेज अस्पताल में भर्ती हुए थे। रविवार रात को उन्हें सीने में दर्द उठा, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। बता दें कि उनका अस्पताल में ही निधन हुआ। उल्लेखनीय है कि पिछले साल आरिफ अकील की हृदय संबंधी सर्जरी हुई थी। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया था। 

मोहरतम आरिफ अकील का सफर ए हयात….

आप 1972 में छात्र नेता के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की।  उन्हें 1977 में सैफिया कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। उसी वर्ष उन्हें मध्य प्रदेश एनएसयूआई (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ) के उपाध्यक्ष के रूप में चुना गया।

उन्होंने 1990 पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता। तब उन्होंने कद्दावर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री रसूल अहमद सिद्दीकी को हराकर निदर्लीय चुनाव जीता। स्वतंत्र विधायक के रूप में अपना पहला विधायक चुनाव जीता।

1993 में फिर से उन्होंने जनता दल पार्टी के संरक्षण में विधायक का चुनाव लड़ा, हालांकि, उन्हें भाजपा पार्टी के रमेश शर्मा  ने मामूली अंतर से हरा दिया। 1995 में उन्हें मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड और बार काउंसिल का सदस्य नियुक्त किया गया, उसी वर्ष उन्हें नागरिक सहकारी बैंक का अध्यक्ष चुना गया।

1996 में वे फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और 1998 में उन्होंने विधायक का चुनाव लड़ा और अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रमेश शर्मा को हराकर विधानसभा चुनाव जीता।

1998 से 2003 तक आरिफ अकील ने मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में कई कैबिनेट मंत्री पदों पर कार्य किया । उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री, भोपाल गैस राहत मंत्री, पिछड़ा एवं पिछड़ा वर्ग विभाग का मंत्री मनोनीत किया गया। उन्हें मध्य प्रदेश हज समिति का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया।

उन्होंने 2003 में विधायक के रूप में विधानसभा चुनाव में फिर से विजय प्राप्त की, और फरवरी से जून 2004 तक उन्होंने कांग्रेस के लिए विधानसभा के सचिव के रूप में कार्य किया और 2007 में उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया।

2008 में वे तेरहवीं विधानसभा में फिर विधायक चुने गए, 2012 में वे भोपाल संभागीय क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और म.प्र. क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य बने। 2013 में उन्हें टिकट वितरण के लिए कांग्रेस की चुनाव समिति का सदस्य नियुक्त किया गया।

2013 में वे भारत के पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ बेग को हराकर चौदहवीं विधानसभा के विधायक चुनाव में फिर से चुने गए।

व्यक्तिगत जीवन

निजी जिदंगी की बात की जाए तो श्री आरिफ का निकाह सायरा अकील से हुआ था। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। जिनके नाम इरुम अकील, माजिद अकील, आतिफ अकील और आबिद अकील।  उनकी बेटी की शादी सऊदी अरब में यूपीएस ( यूनाइटेड पार्सल सर्विस इंक) में कार्यरत महाप्रबंधक खालिद मसूद से हुई है।

Back to top button

You cannot copy content of this page