BAZ Finance: नॉमिनी बनना जरूरी, नहीं तो आपको करना पड़ सकता है मुश्किलों का सामना
जब भी हम बैंक अकाउंट, डीमैट अकाउंट या किसी वित्तीय खाता खोलते हैं, तो उसमें नॉमिनेशन का विकल्प होता है। इसका मतलब है कि यदि आपके साथ कोई अनहोनी होती है, तो आपके खाते का पैसा किसे मिलेगा। नॉमिनी बनना अनिवार्य नहीं है, इसलिए कई लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हर वित्तीय खाते में नॉमिनी का होना बहुत जरूरी है ताकि आपके न रहने पर आपका पैसा सही वारिस को मिल सके।
नॉमिनी न होने की स्थिति
यदि किसी खाते में नॉमिनी नहीं है, तो खाते में जमा पैसे किसे मिलेंगे? अगर किसी खाताधारक ने सभी वित्तीय खातों के लिए किसी को नॉमिनी बनाया है, तो उसकी मृत्यु के बाद पूरा पैसा उसी नॉमिनी को मिल जाएगा। यदि एक से अधिक नॉमिनी हैं, तो उन सभी को पैसा बराबर मिलेगा। आप यह भी तय कर सकते हैं कि किस नॉमिनी को कितनी हिस्सेदारी देनी है, जिससे बाद में बंटवारे को लेकर विवाद कम होते हैं।
कानूनी वारिस का दावा
अगर किसी व्यक्ति ने बैंक अकाउंट के लिए नॉमिनी नहीं बनाया है, तो उसकी मृत्यु के बाद पैसा उसके कानूनी उत्तराधिकारी को मिलेगा। शादीशुदा व्यक्ति के मामले में कानूनी वारिस पत्नी, बच्चे और माता-पिता होते हैं, जबकि अविवाहित व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन इस पर दावा कर सकते हैं।
कानूनी प्रक्रियाएं
यदि अकाउंट होल्डर ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया है, तो पैसे उसके कानूनी अधिकारी के खाते में जमा कर दिए जाएंगे। इसके लिए कानूनी वारिस को कुछ जरूरी दस्तावेज़ जमा करने होंगे, जैसे:
- मृतक का डेथ सर्टिफिकेट
- कानूनी उत्तराधिकारी की फोटो
- KYC दस्तावेज़
- लेटर ऑफ डिस्क्लेमर (एनेक्सचर-ए)
- लेटर ऑफ इंडेम्निटी (एनेक्सचर-सी)
नॉमिनी के बिना संभावित समस्याएं
खाताधारक की मृत्यु पर अकाउंट बंद हो सकता है और पैसे सरकार के खजाने में जमा हो सकते हैं। नॉमिनी के बिना, वारिसों के बीच विवाद हो सकता है और कानूनी उत्तराधिकारी साबित करने में समय और खर्च बढ़ सकता है। इसके अलावा, नॉमिनी के बिना बीमा क्लेम करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि बीमा कंपनी को नॉमिनी की जानकारी नहीं होगी। पेंशन और अन्य लाभों का क्लेम करने में भी समस्याएं आ सकती हैं, और अदालती कार्रवाई की जरूरत भी पड़ सकती है।