यूपी में ठाकुर राज पर टिप्पणी: दो पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज

उत्तर प्रदेश में ठाकुर राज और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करने के बाद, दो वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
टिप्पणी के बाद एफआईआर
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करने के बाद दो पत्रकारों, अभिषेक उपाध्याय और ममता त्रिपाठी, के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है। इन दोनों पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर राज्य के अधिकारियों की जातियों के बारे में सवाल उठाए थे। खासतौर पर इस बात पर चर्चा की गई कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ठाकुर जाति के अधिकारियों को प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया है।
मुख्यमंत्री को ईश्वर का अवतार बताया
शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “ईश्वर का अवतार” बताते हुए दावा किया कि पत्रकारों का उद्देश्य उनकी छवि को धूमिल करना और देश की अखंडता को खतरे में डालना है। साथ ही, यह आरोप भी लगाया गया कि इन पत्रकारों के विदेशी संपर्क हो सकते हैं और वे विदेशी फंडिंग के जरिए सीएम योगी की छवि खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।
सपा का तीखा हमला
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर निशाना साधा है। सपा ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी को “नॉन बायोलॉजिकल” और “ईश्वर का अवतार” बताया गया था, अब वही स्थिति यूपी के मुख्यमंत्री योगी के साथ हो रही है। सपा ने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह एफआईआर योगी आदित्यनाथ ने खुद के निर्देश पर दर्ज करवाई है ताकि वे दिल्ली वालों के सामने खुद को उनसे बड़ा साबित कर सकें।
ठाकुरवाद बनाम यादववाद की बहस
लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज इस एफआईआर ने राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। पत्रकारों ने उत्तर प्रदेश की अफसरशाही में ठाकुर जाति के प्रभुत्व पर सवाल उठाए थे, विशेष रूप से ‘ठाकुरवाद’ और ‘यादववाद’ के मुद्दे को लेकर। इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है और इसे लेकर बड़ी बहस शुरू हो गई है।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और प्रशासनिक संतुलन को लेकर जारी बहस ने एक नया मोड़ ले लिया है, जिससे राज्य की जातिगत राजनीति फिर से चर्चा में आ गई है।