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मध्य प्रदेश के हाथियों में अफ्रीकन एलिफेंट वायरस की पुष्टि

पांच हाथियों में वायरस मिला

जबलपुर: मध्य प्रदेश के 70 हाथियों की जांच जबलपुर वेटरिनरी यूनिवर्सिटी द्वारा की गई, जिसमें 5 हाथियों के रक्त में अफ्रीकन एलिफेंट वायरस की पुष्टि हुई है। वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ साइंस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने 70 हाथियों के 150 से ज्यादा सैंपल एकत्र किए थे।

हाथियों को किया गया आइसोलेट

वन विभाग के अधिकारियों ने प्रभावित पांचों हाथियों को तुरंत आइसोलेट कर दिया है और उनका सघन उपचार जारी है। वेटरनरी मेडिकल कॉलेज ने इस वायरस के बारे में वन विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें हाथियों की हालत की जानकारी दी गई है।

वायरस का प्रभाव: खून के थक्के और रक्त स्राव

डॉक्टरों का कहना है कि यह वायरस खून के थक्के जमने का कारण बनता है, जिससे नसों और चमड़ी से खून का रिसाव शुरू हो जाता है। खासतौर पर युवा हाथियों में यह वायरस रक्त स्राव की बीमारी का कारण बनता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

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वायरस का स्रोत और इलाज

यह वायरस भारत में अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लाए गए हाथियों के जरिए पहुंचा है। वहां हाथियों को अफ्रीका से लाया गया था, जिसके साथ यह वायरस भी आया। फिलहाल, इस वायरस से निपटने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर प्रभावित हाथियों की नियमित निगरानी कर इलाज की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि उपचार के लिए कोई विशेष टीका न होने के कारण यह चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।


इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए वन विभाग और वेटरनरी टीम हर संभव प्रयास कर रही है।

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