ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी का संबोधन: आसियान देशों में एकता का महत्व

वियतनियान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लाओस की राजधानी वियतनियान में आयोजित ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में कहा कि भारत हमेशा से आसियान देशों के बीच एकता का समर्थन करता रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि आसियान भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग का केंद्र है।
मोदी ने कहा कि वर्तमान में दुनिया में चल रही विभिन्न संघर्षों का सबसे बुरा प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। उन्होंने शांति बहाल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और हमने हमेशा कहा है कि यह जंग का युग नहीं है।” उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी होगी, और वर्तमान में मित्रता, संवाद और सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
युद्ध से समाधान की असंभवता
पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि समस्याओं का समाधान युद्ध के माध्यम से नहीं आ सकता। उन्होंने कहा कि एक मुक्त, खुला, समावेशी, और नियम आधारित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक है। दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर भी उन्होंने जोर दिया।
उन्होंने कहा कि समुद्री गतिविधियों को संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के तहत संचालित होना चाहिए, और नेविगेशन और वायु क्षेत्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। मोदी ने क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर रोक न लगाने वाले एक प्रभावी आचार संहिता की आवश्यकता को भी उजागर किया।
आतंकवाद और मानवीय दृष्टिकोण
मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि इसे समाप्त करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाले देशों को एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने यूरेशिया में चल रहे संघर्षों और पश्चिम एशिया में इस्राइल-हमास युद्ध का भी उल्लेख किया।
उन्होंने टाइफून यागी से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए भारत की ओर से मानवीय सहायता प्रदान करने की बात कही।