
Waqf Bill 2024 के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की गतिविधियों को लेकर विपक्षी दलों और समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के बीच टकराव गहरा गया है। विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर समिति की राज्य यात्राओं पर गंभीर आपत्ति जताई है और पांच राज्यों की यात्रा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। विपक्ष का कहना है कि उनकी शिकायतों और आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया, और इसके बावजूद समिति की बैठकें जारी रखी गईं, जिसमें कोरम की भी कमी रही।
विपक्षी दलों के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए समिति अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इन आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संसदीय समितियों के अध्ययन दौरे अनौपचारिक होते हैं और इन दौरों के लिए कोरम की शर्त अनिवार्य नहीं होती है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए रिपोर्ट समय पर जमा करना बेहद अहम है, और हम इसकी समय सीमा को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह तक पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।”
विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं, जैसे कि डीएमके के ए. राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, और टीएमसी के कल्याण बनर्जी ने इस यात्रा का बहिष्कार करने का फैसला किया है। इन नेताओं का कहना है कि समिति की यात्रा टलनी चाहिए थी, क्योंकि उन्होंने अपनी शिकायतें पहले ही दर्ज कर दी थीं, लेकिन जब उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और यात्रा जारी रही, तो उन्होंने विरोध स्वरूप इस यात्रा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया।
विपक्ष का आरोप है कि समिति पर चर्चा होने के बजाय वक्फ संपत्तियों से संबंधित गंभीर सवालों और शिकायतों का समाधान नहीं हो पा रहा है। उनका मानना है कि यह पूरे मामले की सही और उचित जांच को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इस तरह के दौरे और कार्यवाही को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से नहीं किया जा रहा है। विपक्षी सांसदों ने यह भी कहा कि समिति की राज्य यात्राओं का उद्देश्य ज्यादा राजनीतिक था, और यह वक्फ संपत्तियों की वास्तविक स्थिति की जांच से इतर था।
वहीं, समिति अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इसे पूरी तरह से गलत बताया और कहा कि राज्य यात्राएं वक्फ संपत्तियों की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने इस यात्रा के दौरान वक्फ संपत्तियों की राज्यवार स्थिति का गहराई से अध्ययन करने की बात कही और यह भी कहा कि यात्रा का उद्देश्य राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में मंथन जारी है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव इस महत्वपूर्ण जांच के निष्कर्षों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यदि इस प्रकार की गतिरोध और विरोध की स्थिति बनी रहती है तो समितियों के कार्यों में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह टकराव समिति के कामकाज की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, विपक्षी सांसदों के बहिष्कार के बावजूद समिति यात्रा जारी रखने की योजना बना रही है। हालांकि, अब यह देखना होगा कि विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों को कितनी गंभीरता से लिया जाएगा और क्या इसे ध्यान में रखते हुए समिति की कार्यशैली में कोई बदलाव होगा।
इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से विपक्ष की शिकायत पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से यह मुद्दा संसद में गहरा विवाद उत्पन्न कर सकता है।