Advertisement
Advertisement
Madhya PradeshNationalNews

मध्य प्रदेश : मुस्लिम दुकानदारों की स्वदेशी मेले में नो एंट्री! दमोह में दुकान बंद करा कर भगाया, DM ने दिए जांच के आदेश

मध्य प्रदेश के दमोह जिले में आयोजित एक मेले में मुसलमान दुकानदारों को बाहर निकाले जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना को लेकर जहां मुस्लिम व्यापारी नाराज हैं, वहीं सामाजिक और राजनीतिक हलकों में इसे हिंदू अतिवाद और मुसलमानों के खिलाफ सुनियोजित साजिश के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?

यह घटना दमोह जिले के एक स्थानीय मैदान में आयोजित ‘स्वदेशी मेला’ के दौरान हुई। इस मेले का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना था। लेकिन मेले के आयोजकों ने मुस्लिम दुकानदारों को स्टॉल लगाने से रोक दिया, हालांकि वे पहले ही रजिस्ट्रेशन कर चुके थे और शुल्क का भुगतान भी कर चुके थे। दुकानदारों का आरोप है कि आयोजन के बाद उन्हें बताया गया कि ‘मुसलमानों को यहां स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं है।’

विज्ञापन

आगरा के एक व्यापारी शब्बीर ने बताया, “मुझे कहा गया कि मुसलमानों को इस मेले में स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं है, जबकि मैंने पहले ही स्टॉल बुक कर दिया था और भुगतान भी कर दिया था।” उन्होंने कहा कि इस फैसले के बाद उनके व्यापारियों का पूरा खर्च बर्बाद हो गया। लखनऊ से आए एक अन्य व्यापारी ने भी यही आरोप लगाया और बताया कि उन्हें भी वहां से जाने को कहा गया।

स्वदेशी जागरण मंच और उसका विवादित रवैया

यह मेला ‘स्वदेशी जागरण मंच’ द्वारा आयोजित किया गया था, जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक सहयोगी संगठन है। इस मंच का उद्देश्य भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना और विदेशी सामान के खिलाफ स्वदेशी उत्पादों की खपत बढ़ाना है। हालांकि, इस आयोजन के बाद से सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस प्रकार के आयोजनों में धार्मिक आधार पर भेदभाव किया जा सकता है?

प्रशासनिक अधिकारियो ने इस मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम ‘स्वदेशी जागरण मंच’ द्वारा आयोजित किया गया है और आयोजकों को यह अधिकार है कि वे तय करें कि कौन मेले में भाग ले सकता है और कौन नहीं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक निजी आयोजन था।

विज्ञापन

क्या कहना है मुस्लिम व्यापारियों का?

मुस्लिम दुकानदारों का कहना है कि उन्हें धर्म के आधार पर इस मेले से बाहर निकाला गया, जो कि पूरी तरह से निंदनीय है। भदोही के एक व्यापारी वकील अहमद ने कहा, “हमसे करीब 15-20 मुसलमान व्यापारियों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए कहा गया। यह साफ तौर पर एक भेदभावपूर्ण कदम था।”

राजनीतिक और सामाजिक आलोचना

प्रशासनिक अधिकारियो का बयान और स्वदेशी जागरण मंच का यह रवैया अब राजनीतिक और सामाजिक रूप से आलोचना का विषय बन गया है। कई लोगों का कहना है कि इस प्रकार के आयोजन सरकारी जमीन और संसाधनों का उपयोग कर किए जा रहे हैं, और ऐसे आयोजनों में धार्मिक भेदभाव नहीं होना चाहिए।

न्यूज़ सोर्स (NDTV) : मुसलमानों के दुकान लगाने पर पाबंदी लगा दी गई

क्या है इसके परिणाम?

जहां एक ओर स्वदेशी जागरण मंच और उनके समर्थक इसे निजी आयोजन और आयोजनकर्ताओं का अधिकार बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आलोचक इसे सरकारी जमीन और संसाधनों के माध्यम से एक धार्मिक भेदभाव का रूप मान रहे हैं।

आगे का रास्ता

मामले की जांच जारी है और यह देखा जाएगा कि इस घटना के बाद क्या कदम उठाए जाते हैं। कलेक्टर ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या ऐसे आयोजनों में धार्मिक भेदभाव को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर यह मामला भी समय के साथ ठंडा हो जाएगा।

यह घटना देश में बढ़ती धार्मिक नफरत और मुसलमानों के खिलाफ हो रहे आर्थिक, सामाजिक बहिष्कार को एक और उदाहरण के रूप में सामने लाती है। अब यह देखना बाकी है कि क्या भारत सरकार और समाज इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे।

Source
ndtvpunjabkesari.in
Back to top button

You cannot copy content of this page