जबलपुर : डिजिटल अरेस्ट स्कैम शहर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है। यह साइबर फ्रॉड न केवल आर्थिक नुकसान की वजह बन रहा है, बल्कि कई मामलों में लोगों को मानसिक तनाव और डर भी झेलना पड़ा है। इस स्कैम का शिकार जानकार और पढ़े-लिखे लोग भी हो रहे हैं।
हाल ही में जबलपुर में एक गंभीर मामला सामने आया, जहां डिजिटल अरेस्ट स्कैम के कारण एक युवक ने आत्महत्या कर ली। वहीं, एक रिटायर्ड अधिकारी को भी इस स्कैम ने करीब 12 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया। इन घटनाओं ने इस साइबर ठगी की भयावहता को उजागर किया है।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक नया प्रकार का साइबर फ्रॉड है, जिसमें ठग खुद को पुलिस या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि वह किसी गंभीर अपराध में शामिल है। इसके बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित से पैसे की मांग की जाती है।
आरोपित अक्सर वीडियो कॉल के जरिए पीड़ित से संपर्क करते हैं और उसे घर में ही डिजिटल अरेस्ट कर लेते हैं मतलब पीड़ित को डराकर और मानसिक दबाव देकर पैसे भेजने के लिए मजबूर किया जाता है।
जबलपुर में हालिया घटनाएं
हाल ही में जबलपुर में हुई एक घटना ने इस स्कैम की भयावहता को दर्शाया।
एक सेवानिवृत्त अधिकारी एंथोनी और उनकी पत्नी ग्रे आयरन फाउंड्री (GIF JABALPUR) से जुड़े हुए थे। उन्हें साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार बना लिया। आरोपितों ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और उन्हें मनीलांड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी। इसके बाद उन्हें वीडियो कॉल के जरिए डराया गया और घर से बाहर न जाने के लिए भी मजबूर किया गया।
डर और मानसिक दबाव के कारण दंपति बार-बार पैसे भेजते रहे, और आखिरकार उनके 11 लाख 75 हजार रुपये ठगों के खाते में जमा हो गए। यह घटना साइबर अपराधियों की शातिर रणनीतियों को उजागर करती है और बताती है कि कैसे वे लोगों को मानसिक दबाव देकर आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचने के उपाय
विशेषज्ञों के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट स्कैम से बचने के लिए लोगों को जागरूक रहने की जरूरत है।
- संदिग्ध कॉल्स से सावधान रहें:
किसी कॉल में आपको बताया जाए कि आप किसी मामले में शामिल हैं, तो घबराएं नहीं। सरकारी एजेंसियां किसी भी मामले की जानकारी फोन कॉल के जरिए नहीं देतीं। ऐसे कॉल्स को नजरअंदाज करें और नंबर को ब्लॉक कर दें। - संदिग्ध ईमेल और लिंक से बचें:
किसी भी संदिग्ध ईमेल या मैसेज में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें। ये लिंक आपके डिवाइस में मालवेयर या वायरस डाउनलोड कर सकते हैं। - सरकारी एजेंसी से संपर्क करें:
किसी भी सरकारी एजेंसी से कॉल आने पर संबंधित विभाग के ऑफिस नंबर पर कॉल करके जानकारी की पुष्टि करें। - ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से पहले सावधानी बरतें:
किसी को पैसे भेजने से पहले पूरी जानकारी और पुष्टि करें। - साइबर हेल्पलाइन से संपर्क करें:
यदि आपको ठगी का संदेह हो, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें और अपनी शिकायत दर्ज कराएं। - थर्ड पार्टी एप्स से बचें:
मोबाइल पर किसी भी थर्ड पार्टी एप्लिकेशन को डाउनलोड करने से बचें, क्योंकि ये आपके डिवाइस को हैकर्स के लिए एक आसान रास्ता बना सकते हैं।
जागरूकता ही बचाव का तरीका
विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर फ्रॉड से बचने के लिए नागरिकों में जागरूकता होना बेहद जरूरी है। साइबर अपराध के मामलों में सबसे प्रभावी हथियार जानकारी और सतर्कता ही हैं।
सामाजिक एजेंसियां और साइबर विशेषज्ञ इस दिशा में जागरूकता अभियान चला रहे हैं, लेकिन नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और ठगी का शिकार होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क करना चाहिए।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम जैसे साइबर फ्रॉड से बचाव के लिए इस प्रकार की जानकारी हर नागरिक तक पहुंचाना बेहद ज़रूरी है।