
संभल में हुए हिंसा को आज एक महीना पूरा हो गया है, लेकिन हालात अब भी तनावपूर्ण हैं। पिछले महीने 24 नवम्बर को सर्वे के दौरान हिंसा फैल गई थी, जिसके बाद प्रशासन मुस्लिम इलाकों में मंदिरों की खोज और पुनः प्राप्ति के नाम पर बुलडोजर चला रहा है और खुदाई का काम जारी है। इसके अलावा, अवैध कब्जे के नाम पर सड़कों के किनारे घरों के सीढ़ी तोड़ी जा रही हैं, और बिजली चोरी के आरोप में प्रशासन लगातार मुस्लिम इलाकों में सक्रिय है। इन गतिविधियों से स्थानीय मुसलमानों में चिंता और बेचैनी देखी जा रही है।
इस बीच, संभल की जामा मस्जिद के सर्वे की रिपोर्ट अब अदालत में पेश करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। रिपोर्ट में कुछ तकनीकी कार्य बाकी हैं, जिन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। यह रिपोर्ट जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में अदालत में पेश की जाएगी। अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर ने इस बारे में मीडिया को ताजा स्थिति की जानकारी दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघो ने 23 दिसम्बर को मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि शाहि जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट अंतिम चरण में है। यह रिपोर्ट 2 या 3 जनवरी तक अदालत में पेश कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि रिपोर्ट को पूरा करने में कुछ तकनीकी समस्याएं आ रही थीं, जिन्हें हल किया जा रहा है।
याद रहे कि संभल जामा मस्जिद पर विवाद हिन्दू पक्ष की एक याचिका के बाद शुरू हुआ। इस याचिका में दावा किया गया था कि शाहि जामा मस्जिद का निर्माण मुग़ल सम्राट बाबर ने 1526 में एक पुराने मंदिर को तोड़कर किया था। इस मामले में अदालत ने 19 नवम्बर को एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था, जिसे मस्जिद का सर्वे कराने की जिम्मेदारी दी गई। पहला सर्वे उसी दिन हुआ था, जबकि दूसरे दौर का सर्वे 24 नवम्बर को किया गया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई और बाद में हिंसा की घटनाएँ हुईं। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हो गए।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवम्बर को संभल ट्रायल कोर्ट को कार्रवाई रोकने का आदेश दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से हिंसा प्रभावित इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कदम उठाने को कहा। अब सभी की निगाहें संभल शाहि जामा मस्जिद के सर्वे रिपोर्ट पर हैं।