
नई दिल्ली। अब विदेश यात्रा करने वाले भारतीय यात्रियों को अपनी कई निजी जानकारियां सरकार को प्रदान करनी होंगी। इस नई व्यवस्था के तहत, यात्री को न केवल यह बताना होगा कि वे कब, कहां और कैसे यात्रा कर रहे हैं, बल्कि यह भी जानकारी देनी होगी कि उनकी यात्रा का खर्च किसने उठाया, कौन-कौन सी सीटें बुक की गई हैं, कितने बैग साथ में ले जाए गए हैं, और क्या कोई अन्य संदिग्ध पैटर्न नजर आता है। यह डेटा पांच साल तक संग्रहित किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर इसे अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा किया जा सकेगा।
इस नए आदेश के तहत, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम्स बोर्ड ने एयरलाइंस को निर्देश जारी किए हैं कि वे 10 जनवरी तक अपने डेटा को नए पोर्टल ‘एनसीटीसी-पैक्स’ पर रजिस्टर करें। यह कदम तस्करी और अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस डेटा संग्रहण की प्रक्रिया 2022 से ही चल रही थी, लेकिन अब इसे अनिवार्य बना दिया गया है।
नई व्यवस्था का उद्देश्य
कस्टम डिपार्टमेंट ने यात्रियों के डेटा को समय-समय पर विश्लेषण करने का निर्णय लिया है, ताकि यदि किसी व्यक्ति की विदेश यात्रा में कोई संदिग्ध पैटर्न दिखाई दे, तो त्वरित जांच की जा सके। अधिकारियों का कहना है कि इसके माध्यम से तस्करी और अन्य अपराधों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और किसी भी अवैध गतिविधि को जल्दी पकड़ने में मदद मिलेगी।
कब से लागू होगा यह नियम?
यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू की जाएगी। इसके तहत, एयरलाइंस के लिए यात्रियों का डेटा कस्टम डिपार्टमेंट से साझा करना अनिवार्य होगा। पहले चरण में, 10 फरवरी से कुछ एयरलाइंस के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डेटा साझा किया जाएगा। इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक लागू करने के बाद, 1 अप्रैल से इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा।
नए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और कस्टम्स बोर्ड ने सभी विदेशी रूट वाली एयरलाइंस को ‘एनसीटीसी-पैक्स’ नामक नए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा है। यह पोर्टल यात्रियों की यात्रा से जुड़ी विभिन्न जानकारियों का संग्रह करेगा। एयरलाइंस को यह डेटा कस्टम डिपार्टमेंट के साथ साझा करना होगा, जिससे किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता चल सके और उसे रोका जा सके।
डाटा संग्रहण की प्रक्रिया
इस नई व्यवस्था के तहत, यात्रियों को अपनी यात्रा से संबंधित जानकारी प्रदान करनी होगी। इसमें यात्रा की तारीख, गंतव्य, विमान का नंबर, साथ में ले जाए गए बैग, सीट नंबर, यात्रा का खर्च उठाने वाला व्यक्ति, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होगी। यह डेटा कस्टम डिपार्टमेंट के पास जमा किया जाएगा, जहां इसे विश्लेषित किया जाएगा। यदि किसी व्यक्ति की यात्रा का पैटर्न संदिग्ध लगता है, तो उसे जांच के लिए चिह्नित किया जाएगा।
डेटा का संरक्षण और साझा करना
यात्रियों द्वारा दी गई जानकारी पांच साल तक संग्रहीत की जाएगी। यह डेटा जरूरत पड़ने पर अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ भी साझा किया जा सकता है। इसका उद्देश्य देश में अपराधों की रोकथाम और तस्करी जैसी गतिविधियों को नियंत्रित करना है।
विमानन कंपनियों का सहयोग
इस व्यवस्था के तहत, एयरलाइंस को यात्रियों का डेटा कस्टम डिपार्टमेंट से साझा करना अनिवार्य होगा। इसके लिए एयरलाइंस को नए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा और समय पर डेटा भेजना होगा। इससे संबंधित एयरलाइंस को सभी यात्रियों के बारे में सही और विस्तृत जानकारी प्रदान करनी होगी। इसके लिए एयरलाइंस को सभी यात्री विवरणों को सही ढंग से दर्ज करना होगा, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा यह कदम तस्करी, अवैध गतिविधियों और अन्य अपराधों पर कड़ी नजर रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। इससे न केवल अपराधों की रोकथाम होगी, बल्कि सरकारी एजेंसियों को संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने का मौका मिलेगा। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद यात्रियों को अपनी यात्रा के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करनी होगी, जो पांच साल तक संग्रहित रहेगी।