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इतिहास का सबसे खौफनाक कत्लेआम जारी : लेंसेंट का दावा गाजा में मरने वालों की ‘असल संख्या 1 लाख 86 हजार के पार..’

इजरायल द्वारा हमास को खत्म करने के नाम पर जो फलस्तीनियों का कत्लेआम किया जा रहा है, उसमें मरने वालों के आंकड़ों पर चौकाने वाली रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है.

यह रिसर्च रिपोर्ट अरब संस्थान की नहीं है, बल्की विश्व प्रसिध्द येल यूनिवर्सिटी, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, और अन्य प्रमुख संस्थानों के शोधकर्ताओं ने की है. जिनका दावा है कि गाजा में मरने वालों की असल संख्या 1 लाख 86 हजार है.

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शोधकर्ताओं का कहना है कि फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय जो आंकड़े जारी कर रहा है वो सिर्फ वो आंकड़े हैं जिनकी बाडी बमबारी के बाद अस्पताल लाई गई या इजरायली हमलों के बाद लाश सामने आई. लेकिन जब 80 फीसद गाजा मलबे में तबदील हो चुका है, जो लाशे मलबे में दबी हैं उनका कोई हिसाब नहीं हैं. जो लोग भूख से मारे गये, उनका कोई हिसाब नहीं है, जो लोग गाजा में इलाज न मिलने की वजह से या हमले के बाद कैमिकल और धमक से हुई बीमारी से मारे गये उनका हिसाब भी फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गये आंकड़ों में शामिल नहीं है.

गाजा में कोई प्रशासन बचा ही नहीं है, जब जंग थमेगी और विदेशी मदद से राहत कार्य चालू होगा, तब मरने वालों का असल आंड़ा सामने आएगा.

The Lancet पत्रिका में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इज़राइल के हमले के पहले नौ महीनों में गाजा में मृतकों की संख्या, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए आधिकारिक आंकड़ों से लगभग 40 प्रतिशत अधिक है।

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यह रिसर्च  येल विश्वविद्यालय, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, और अन्य प्रमुख संस्थानों के शोधकर्ताओं ने किया। शोधकर्ताओं ने “कैप्चर-रिकैप्चर एनालिसिस” नामक एक सांख्यिकीय विधि का उपयोग किया है।

अध्ययन के मुताबिक, 7 अक्टूबर 2023 से 30 जून 2024 तक गाजा में लगभग 55,298 से 78,525 फिलिस्तीनियों की मौत घातक चोट के कारण हुई है.  30 जून तक गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 37,877 मृतकों की रिपोर्ट दी थी। जबकी तब लेनसेंट की रिपोर्ट में कहा गया था कि मृतकों की संख्या का सबसे सटीक अनुमान 64,260 था

जनवरी 2025 में इस सप्ताह के शुरुआत में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद मृतकों की संख्या 46,000 से अधिक हो चुकी है। अब The Lancet की ओर से जारी  पत्र में विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि अब गाजा में मृतकों की वास्तविक संख्या 1,86,000 से अधिक हो सकती है।

Lancet में दावा किया गया है कि यह आंकड़ा भी  बहुत कम है, क्योंकि इसमें उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जो मलबे के नीचे दबे हो सकते हैं और उन “अप्रत्यक्ष” मौतों को भी नहीं जो गाजा के नष्ट हुए स्वास्थ्य, खाद्य वितरण और स्वच्छता प्रणालियों के कारण हो रही हैं।

पत्र में लिखा गया है, “इस संघर्ष की तीव्रता को देखते हुए, कुल मृतकों की संख्या बहुत अधिक होने की संभावना है। स्वास्थ्य सेवाओं का नष्ट होना, खाद्य, पानी और आश्रय की कमी, लोगों का सुरक्षित स्थानों पर भागने में असमर्थता और गाजा में सक्रिय कुछ मानवीय संगठनों को वित्तीय सहायता की कमी इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।”

फिलिस्तीनी केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (PCBS) का अनुमान है कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट किए गए मृतकों की संख्या के अतिरिक्त, लगभग 11,000 फिलिस्तीनी लोग लापता हैं और मृत मान लिए गए हैं।

इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका, जेनिना जमालुद्दीन, जो लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में महामारी विशेषज्ञ हैं, ने कहा, “हमने केवल उन्हीं मृतकों को शामिल किया है जिनकी मौत उनके परिजनों या मर्ग रिपोर्ट से पुष्टि हुई थी। फिर हमने तीन सूची के बीच के ओवरलैप को देखा और उसके आधार पर मृतकों की कुल संख्या का अनुमान निकाला।”

अध्ययन में यह भी बताया गया कि फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय की इलेक्ट्रॉनिक मृत्यु रिकार्ड की प्रणाली पहले प्रभावी थी, लेकिन इज़राइली सैन्य हमलों और अस्पतालों तथा अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमलों के कारण इसमें गड़बड़ी आ गई है। डिजिटल संचार में व्यवधान ने भी इसे प्रभावित किया।

अमेरिका स्थित Human Rights Data Analysis Group के सांख्यिकीविद पैट्रिक बॉल ने बताया कि उन्होंने पहले ग्वाटेमाला, कोसोवो, पेरू और कोलंबिया जैसे संघर्ष क्षेत्रों में मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए “कैप्चर-रिकैप्चर” विधि का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, “यह विधि अच्छी तरह से परीक्षण की गई है और शोधकर्ताओं ने गाजा के लिए एक अच्छा अनुमान प्राप्त किया है।”

ब्रिटेन के ओपन यूनिवर्सिटी के सांख्यिकी प्रोफेसर केविन मैककॉनेवे ने कहा, “अपूर्ण डेटा से अनुमान लगाते वक्त अनिश्चितता होना स्वाभाविक है, लेकिन यह सराहनीय है कि शोधकर्ताओं ने तीन अन्य दृष्टिकोणों का उपयोग करके अपने अनुमानों की जांच की।”

यह अध्ययन और रिपोर्ट गाजा में जारी संघर्ष के कारण हो रही व्यापक मानव हानि को और स्पष्ट करता है और फिलिस्तीनी लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अधिक सहायता की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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