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JabalpurMadhya Pradesh

सरकारी विश्वविद्यालयों की जांच के बिना अशासकीय महाविद्यालयों की जांच अधूरी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय समेत सभी शासकीय विश्वविद्यालयों की होनी चाहिए जांच: NSUI

प्रदेश के अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अशासकीय महाविद्यालयों के निरीक्षण और सत्यापन के आदेश का भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने स्वागत किया है। ज्ञात हो कि हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग ने सभी जिला कलेक्टर को राजस्व अधिकारियों की टीम बनाकर प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों की जांच का आदेश दिया है। लेकिन साथ ही NSUI का मानना है कि इस प्रक्रिया को प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों की जांच की जानी चाहिए। 

एनएसयूआई प्रदेश सचिव अदनान अंसारी ने कहा कि जिन सरकारी विश्वविद्यालयों के अधिकार क्षेत्र में ये महाविद्यालय आते हैं और जो इन्हें संबद्धता प्रदान करते हैं, उनकी अपनी स्थिति बेहद चिंताजनक है। ये विश्वविद्यालय न केवल यूजीसी मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि छात्रों के शैक्षिक हितों के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। 

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सरकारी विश्वविद्यालयों की अनियमितताओं की अनदेखी कर केवल अशासकीय महाविद्यालयों की जांच करना शिक्षा व्यवस्था में सुधार का अधूरा प्रयास है। ऐसे विश्वविद्यालय, जो खुद यूजीसी के मानकों पर खरे नहीं उतरते, न ही जिनके पास पर्याप्त फैकल्टी, अनुसंधान सुविधाएं, या योग्य नेतृत्व है, वे महाविद्यालयों को संबद्धता देने के योग्य कैसे हो सकते हैं? आरडीवीवी जैसे विश्वविद्यालय, जहां कुलपतियों की नियुक्ति और संचालन प्रक्रिया पर सवाल हैं, उन्हें पहले जांच के दायरे में लाना चाहिए। जब तक सरकारी विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली और संबद्धता प्रक्रिया पारदर्शी और मानकों के अनुरूप नहीं होगी, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना संभव नहीं है। यह आवश्यक है कि सरकार पहले अपने संस्थानों को सुधारते हुए एक आदर्श प्रस्तुत करे।

1. पहले सरकारी विश्वविद्यालयों की जांच हो 

 -जैसे आरडीवीवी (रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय), जो खुद यूजीसी के मानकों का पालन नहीं कर रहा है, उसे संबद्धता देने का अधिकार कैसे हो सकता है? 

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– इन विश्वविद्यालयों में न तो पर्याप्त फैकल्टी हैं, न ही अनुसंधान के लिए बुनियादी ढांचा। 

 – रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु समेत कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी यूजीसी के नियमों के अनुसार नियुक्त नहीं हुए हैं। 

2.अधिकारियों और संबद्धता प्रक्रिया की जांच हो: 

 – अशासकीय महाविद्यालयों को संबद्धता देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। 

 – यह जांच होनी चाहिए कि ऐसे विश्वविद्यालय, जो खुद मानकों पर खरे नहीं उतरते, कैसे महाविद्यालयों को मान्यता दे रहे हैं। 

3. छात्रों के भविष्य की रक्षा हो: 

– विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की अनियमितताओं का असर छात्रों की शिक्षा पर न पड़े। 

– छात्रों को बेहतर शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। 

एनएसयूआई प्रदेश सचिव अदनान अंसारी ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार के लिए केवल अशासकीय महाविद्यालयों को निशाना बनाना पर्याप्त नहीं है। जब तक राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों की अनियमितताओं और उनकी कार्यप्रणाली की जांच नहीं होगी, तब तक शिक्षा में सुधार संभव नहीं है। एनएसयूआई यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले को शासन तक पहुंचाया जाए और छात्रों के अधिकारों की रक्षा हो। 

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