जबलपुर में हसन असकरी मियां ने क्यों कहा, ‘धिक्कार है दौलतमंदों पर…’। दारुल उलूम के 52 वें जलसे में तारीखी खिताब। 25 तलबा की दस्तारबंदी

यह अफसोस की बात है कि हमारे कौम का कोई बच्चा गुरबत की वजह से न पढ़ सके, हमारी किसी बच्ची की शादी गुरबत की वजह से न हो सके… धिक्कार है दौलत मंदों पर… रसूलुल्लाह के उम्मती ऐसे नहीं होंगे।
जहां अमीरुल मोमिनीन हजरत उमर रजी. अपनी पीठ पर बोरी लाद कर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हों… हम उनके मानने वाले हैं।
यह बात मंडी मदार टेकरी में शबे बरात के मौके पर आयोजित तारीखी जलसे में हजरत सैय्यद हसन असकरी मियां ने जबलपुर के मुसलमानों से खिताब करते हुये कही।

आपने पैगाम दिया, ऐ मुसलमानों अपने बच्चों को भी पढ़ाओं और एक गरीब को बच्चे को पढ़ाओ. अपनी बेटियों की शादी करो और एक गरीब की बेटी की शादी करो।
आपने कहा, अगर हम हजरत गरीब नवाज, मखदूम अशरफ सिमनानी, यकीन शाह दाता, दादा मियां, हजरत अनिर्रहमान .. (अलैहिर रहमा) के सच्चे चाहने वाले होंगे. तो हम वही काम करेंगे जो रसूल (सल्ल.) ने फरमाया है करने के लिये।
आपने कहा, दुआ करो नौजवानों ऐ अल्लाह हमें ऐसी जिंदगी अताकर, जिससे तू राजी हो जाए।
सैय्यद हसन असकारी मिया की सरपरस्ती में दारुल उलूम अहले सुन्नत का 52 वा जश्ने दस्तार बंदी (दीक्षांत समारोह) अशरफ नगर मंडी मदार टेकरी में आयोजित हुआ. जिसमें 25 फ़ारीगीन तल्बा को सनद व दस्तार से नवाजा गया। कार्यक्रम की शुरुआत नातख्वानी से हुई जहां गाडरवारा से तशरीफ़ लाए सैय्यद नौशाद अशरफी व कोतमा अनुपपुर से तशरीफ़ लाए शाहिर अशरफी साहब ने अपने कलाम पेश किए। जिनके बाद पुणे महाराष्ट्र से तशरीफ़ लाए अल्लामा हाफिज पीर नवाज़ अशरफी साहब ने खिताब किया। इसके बाद अल्लामा मोइनुद्दीन अशरफी साहब आवाम से रूबरू हुए। कुरआन ओ सुन्नत की रौशनी में जिंदगी बसर करने की तलकीन की.

पुलिस के सायरन से डरते हो अल्लाह की नाफरमानी से नहीं डरते…
हसन मियां ने अपनी तकरीर में आगे कहा कि अगर आज पुलिस की सायरन बजाते हुई गाड़ी हमारे इलाकों में आ जाए तो लोग होटल को बंद कर देते हैं। लोग तमाम गैरकानूनी कामों को रोक देते हैं सिर्फ इस डर से की पुलिस का सिपाही हमें देख रहा है। लेकिन अफसोस यह जानते हुए भी की वो परवरदिगार हमको हर लम्हा देख रहा है हम गैर कानूनी काम करने से बाज़ नहीं आते।

हमारी बेहिसाब खताओं के बाद भी हमारा परवरदिगार हमें तौबा के मौके पर मौके अता फरता है.
हमें कभी शबे कद्र, कभी शबे बारात ,कभी रमजान जैसे न जाने कितने मौके गुनाहों से मग़फिरत के आता करता है। लेकिन हम फिर भी उसकी नाफरमानी करते है। आपने कहा, याद रखो हम सबको मौत आना है लेकिन आज हमारे पास मौका है इसलिए हमें चाहिए कि हम गुनाहों से सच्ची तौबा करें और नेक राह इख्तियार कर जिंदगी बसर करें।

ये रात बजट व ऑडिट की रात – सैय्यद हसन असकारी मियां।
वही शबे बरात की मुबारक सब को हसन मियां ने बजट व ऑडिट की रात बताते हुए कहा कि यह वही रात है जिसमें परवरदिगार फरमा रहा है कि है कोई रोज़ी मांगने वाला जिसे मैं रोजी अता करूं है! कोई गुनाहों से बख़्शिश चाहने वाला की मै उसके गुनाह बख्श दूं! हसन मियां ने आगे कहा कि आज की रात सिर्फ शबे बरात नहीं बल्कि शब ए जुमा भी है इस लिहाज़ से यह हमारे लिए सोने में सुहागा की तरफ है ऐसे में हम और आपको चाहिए कि हम आज की इस रात गुनाहों से सच्चे दिल से तौबा करें और अपनी आने वाली जिंदगी अल्लाह और उसके रसूल के बताए हुए रास्ते पर गुजारे।

वही सैयद हसन असकारी मियां की तकरीर के बाद सलातो सलाम हुआ जिसके बाद दुआ हुई जहां हसन मियां ने कौम के नौजवानों के बेहतर मस्तकबिल के लिए, जेल में बंद बेगुनाह नौजवानों और उलेमाओं की रिहाई के लिए, साथ ही मुल्क की तरक्की के लिए दुआ की।
