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जबलपुर, 21 फरवरी 2025: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अधिवक्ता अधिनियम संशोधन अधिनियम 2025 के विरोध में शुक्रवार को जबलपुर के अधिवक्ताओं ने प्रतिवाद दिवस मनाया। इस दौरान शहर के सभी न्यायालयों में कोई भी वकील पैरवी करने नहीं पहुंचा, जिसके कारण अदालतें पूरी तरह से सूनी नजर आईं। अधिवक्ताओं ने इस विरोध प्रदर्शन के जरिए अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए सरकार द्वारा लाए गए इस संशोधन के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया।
शुक्रवार की सुबह जबलपुर में हाईकोर्ट चौराहे से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों अधिवक्ताओं ने भाग लिया। इस दौरान अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा। इस ज्ञापन में अधिवक्ताओं ने संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का विरोध करते हुए उसे वापस लेने की मांग की।
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संशोधन के खिलाफ जबलपुर में एकजुट हुए अधिवक्ता
हाईकोर्ट बार, हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार और जिला बार एसोसिएशन कार्यकारिणी की संयुक्त बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि एक दिन की हड़ताल की जाएगी, और इस हड़ताल के दिन ही प्रतिवाद दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। अधिवक्ताओं का कहना है कि अधिवक्ता अधिनियम संशोधन विधेयक-2025 में प्रस्तावित प्रावधान उनके पेशेवर अधिकारों का उल्लंघन करते हैं, जो उनकी स्वतंत्रता और निष्पक्ष वकालत को प्रभावित करेगा।
अधिवक्ताओं का मानना है कि यदि यह संशोधन लागू हुआ, तो इससे उनका कार्य करने का तरीका और उनके अधिकारों पर गंभीर असर पड़ेगा। इसलिए, उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस संशोधन विधेयक को वापस लिया जाए।
विरोध में काले कानून का विरोध
जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और एमपी स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन आरके सिंह सैनी ने कहा कि, “यह अधिनियम पूरी तरह से अधिवक्ताओं पर अत्याचार करने वाला है। यह केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि देशभर में इसके खिलाफ विरोध हो रहा है। हम इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
अधिनियम के खिलाफ आवाज उठाते हुए
इसी क्रम में एड. तरुण रोहितास ने कहा कि इस अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 15 वर्षों से अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम की मांग की जा रही थी, लेकिन इसके बजाय सरकार अधिवक्ताओं की सुरक्षा के खिलाफ एक विधेयक लेकर आई है, जिसे वे स्वीकार नहीं करेंगे।
इस विरोध प्रदर्शन में अध्यक्ष मनीष मिश्रा, सचिव ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी, मनोज तिवारी, ज्योति राय, शैलेंद्र यादव, विनोद विश्वकर्मा, और कई अन्य प्रमुख अधिवक्ता उपस्थित थे।