यूरोप में फलस्तीन को लेकर बदली हवा के बाद, सुर बदलने मजबूर हुआ अमेरिका.. लेकिन

दुनिया भर में फलस्तीन के लिए बढ़ते समर्थन के बीच इसराइल के कट्टर और अंध समर्थक अमेरिका पर भी दबाव बढ़ने लगा है। इसी का नतीजा है कि अमेरिका अब दबी जबान में यह कहने लगा है कि वह भी चाहता है कि फलस्तीन को मान्यता मिले। बस अभी अमेरिका अपने इस चाहने के साथ लेकिन जोड़ा है..। उम्मीद की जा रही है कि फलस्तीन आंदोलन नतीजे पर पहुंचेगा। और जो देश आज लेकिन लगा रहे हैं, वह भी मजबूर होंगे और फलस्तीन आजाद होगा।
अब अमेरिका का कहना है कि बातचीत के जरिए ही फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी जानी चाहिए.
फ़िलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता देने के आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे के फैसले पर व्हाइट हाउस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति बाइडेन का मानना है कि फिलिस्तीन को एकतरफा तौर पर एक राज्य के रूप में मान्यता नहीं दी जानी चाहिए.
राष्ट्रपति बिडेन का मानना है कि फिलिस्तीनी राज्य को पार्टियों के बीच बातचीत के माध्यम से मान्यता दी जानी चाहिए।
व्हाइट हाउस ने कहा कि “राष्ट्रपति बिडेन अपने पूरे करियर में दो-राज्य समाधान के प्रबल समर्थक रहे हैं।”
गौरतलब है कि कल आयरलैंड, नॉर्वे और स्पेन ने फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की घोषणा की है।
नॉर्वे के प्रधान मंत्री जोनास गहर्स्टर ने कहा है कि “यदि फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता नहीं दी जाती है, तो मध्य पूर्व में कोई शांति नहीं हो सकती है, इसलिए हमने निर्णय लिया है कि नॉर्वे 28 मई तक फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देगा.”