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जबलपुर ‘दावते इस्लामी का दो रोजा इज्तिमा’ : कड़कड़ाती ठंड में जुटे आशिक ए रसूल (सल्ल), मुल्क को अमन का गहवारा बनाने का किया अहद

“.. हिन्दुस्तान की मस्जिदों, मदरसों और दरगाहों की हिफाज़त की दुआ के साथ। हिन्दुस्तान में अमन, सलामती और खुशहाली की दुआ के साथ। हिन्दुस्तान में बढ़ती नफरत और साम्प्रदायिकता के खात्मे और अमन, खुशहाली, भाईचारे की दुआ के साथ उम्मत के नौजवानों को नशा, ज़िना, बेहयाई से बचाते हुए मुल्क और मिल्लत की अजीम खिदमात अंजाम देने के काबिल बनाने की दुआ के साथ…” सुब्बाह शाह मैदान में चल रहा दावते इस्लामी का दो रोजा तारीखी इज्तिमा इतवार को बाद नमाजे इशा खत्म हुआ.

इसके बाद महाकौशल के अलग अलग हिस्सों से आए मदनी काफिले अपने-अपने शहरों और कस्बों के लिए रवाना हो गए।

इज्तिमा का मकसद क्या था..

शनिवार की नमाज-ए-फजर के बाद शुरू हुए इज्तिमा का समापन रविवार को नमाज-ए-इशा के बाद दुआ और सलातो सलाम के साथ हुआ।

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इज्तिमा का पैगाम शहवासियों के नाम

इस दो दिनी इज्तिमा में शामिल हुए लोगों ने इश्क-ए-रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम का पैगाम सुनाने और खिदमत-ए-खल्क के हर शोबे में आगे रहने का अहद किया और रुखसती ली।

इस ऐतिहासिक दो रोज़ा इज्तिमा में जबलपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मदनी काफिले पहुंचे थे। जहां उलेमा-ए-किराम ने इश्क-ए-रसूल सल्ल, ईमान, अकीदा, हुकुल्लाह और हुकुल-इबाद वगैरा मौज़ू पर खिताब किया।

इसके साथ ही डिसास्टर मैनेजमेंट, “से नो टू ड्रग्स”, मय्यत के गुस्ल और तदफीन के तरीकों पर विशेष प्रैक्टिकल सेशन भी आयोजित किए गए।

Say No to Drugs सेशन

इज्तिमा के दूसरे दिन “से नो टू ड्रग्स” सेशन का आयोजन किया गया, जिसमें पावर प्रेजेंटेशन और ग्राफिक्स के जरिए ड्रग्स के इंसानी जिस्म पर होने वाले खतरनाक नुकसानों को समझाया गया। इसके साथ ही इस्लाम में नशे के गुनाह और अजाब पर भी नौजवानों को जागरूक किया गया। इस दौरान उपस्थित लोगों से हर तरह के नशे से बचने और दूसरों को भी बचाने का अहद लिया गया।

मय्यत का गुस्ल और डिसास्टर मैनेजमेंट सेशन

 इज्तिमा के पहले दिन मय्यत को गुस्ल देने और नमाजे जनाजा के तरीकों को प्रैक्टिकल तौर पर समझाया गया। इसके साथ ही हादसों और कुदरती आफतों के समय डिसास्टर मैनेजमेंट के तरीकों पर भी एक्सपर्ट्स ने प्रैक्टिकल प्रेजेंटेशन दीं।

मदनी बच्चों द्वारा बनाए गए वर्किंग मॉडल

 दावत-ए-इस्लामी के तहत चलने वाले स्कूलों के बच्चों ने ट्रैफिक सिस्टम, वाटर मैनेजमेंट जैसी जदीद समस्याओं पर वर्किंग मॉडल के जरिए हल पेश किया। यह मॉडल खासा दिलचस्पी का केंद्र बने।

40 बच्चों को दी गई आलिमयात की सनद

इज्तिमा के अंतिम सत्र में दावत-ए-इस्लामी के तहत चलने वाले मदरसों से फारिग हुए 40 तालिब-ए-इल्मों को आलिमयात की सनद दी गई।

इस्लामी किताबों का बढ़ा रुझान

 इज्तिमा में इस्लामी किताबों के स्टॉल पर भी भीड़ देखी गई। इज्तिमा गाह आने वाले लोगों ने सीरतुन्नबी (सल्ल), सीरते सहाबा और इस्लाम के अन्य मौजू पर किताबों का देखीं और उन्हें अपने अजीजों और करीबियों के लिए खरीदीं।

बड़ी तादाद में आए नौजवान

 इस दो दिनी इज्तिमा में स्कूल और कॉलेजों में पढ़ने वाले बड़ी तादाद में नौजवानों ने शिरकत की, जिन्होंने यहां दीन सीखा और अपनी ज़िंदगी और समाज में इस ज्ञान को फैलाने का अहद किया।

खिदमत में जुटे रहे दावते इस्लामी के अफराद

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बाज़ मीडिया जबलपुर डेस्क 'जबलपुर बाज़' आपको जबलपुर से जुडी हर ज़रूरी खबर पहुँचाने के लिए समर्पित है.
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