मासूमों का बचपन छीन रहा मोबाइल, रोजाना अस्पताल पहुंचे रहे बच्चे
नई दिल्ली । हमारे मासूमों का बचपन मोबाइल छीन रहा है। बच्चों को बहलाने अक्सर माता-पिता उन्हें मोबाइल पकड़ा देते हैं। वे मोबाइल देखते हुए दूध पीते हैं या खाना खाते हैं। यह आदत अब बच्चों को भारी पड़ रही है। गेम्स और रील के चक्कर में बच्चों चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ रहा है। एम्स, भोपाल की साइकेट्रिक ओपीडी में हर दिन कम से एक दर्जन इसतरह के मामले पहुंच रहे है, जिसमें मां बच्चों में मोबाइल की लत से परेशान हैं।
खिलौनों की जगह फोन की आदत एम्स भोपाल में अब तक करीब 2000 इस तरह के बच्चे इलाज के लिए आ चुके हैं जिसमें फोन एडिक्शन को बीमारी के लक्षण दिखे। इनकी उम्र 2 से लेकर 3.5 साल हैं। इन्हें खिलौनों की जगह फोन की आदत लग गई। इनका औसतन स्क्रीन टाइम 4 से 8 घंटे तक रहा।
एम्स इलाज के लिए पहुंच रहे मासूमों में देर से बोलने में समस्या, सामाजिक और भावनात्मक विकास न होना और खानपान में परेशानी होना जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं। इसके अलावा मोटापा, सोने में परेशानी, फियर ऑफ मिसिंग आउट, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, लैक ऑफ कंसंट्रेशन जैसी परेशानियां भी आम हैं।
बोलना भी नहीं सीख पा रहे बच्चे
एम्स में इलाज के लिए आ रहे मासूमों में देर से बोलने में समस्या, सामाजिक और भावनात्मक विकास न होना और खानपान में परेशानी होना जैसी समस्याएं दिख रही हैं। इसके अलावा मोटापा, सोने में परेशानी, फियर ऑफ मिसिंग आउट, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, लैक ऑफ कंसंट्रेशन जैसी परेशानियां भी आम हैं।