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विश्व युद्ध की तरफ ले जाता अमेरिका, अमन के लिए काम करता भारत

- मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव को कम नहीं करेगा अमेरिका और ब्रिटेन का यह कदम

नई दिल्ली। इजराइल ने जो युद्ध शुरू किया था, वह अब वैश्विक स्तर पर पहुंचने की कगार पर है। एक ओर अमेरिका ने 43,000 सैनिक तैनात करने का निर्णय लिया है, वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन भी अपनी सेना बढ़ाने के संकेत दे चुका है। ईरान ने भी इजरायल को चुनौती देते हुए किसी भी कार्रवाई का जवाब देने की बात कही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दुनिया को इस युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए।

इजरायल-ईरान तनाव की तीव्रता

इस समय इजरायल और ईरान के बीच का तनाव अपने चरम पर है। यह स्थिति मिडिल ईस्ट में तेजी से बदल रही है और दुनिया के विभिन्न देशों की नजर इस बदलते परिदृश्य पर है। अमेरिका की 43,000 सैनिकों की तैनाती और ब्रिटेन द्वारा सेना बढ़ाने के कदम शांति की ओर नहीं, बल्कि युद्ध की ओर बढ़ने के संकेत दे रहे हैं। ये दोनों देश अपनी सैन्य तैनाती और बल बढ़ाकर केवल आग में घी डालने का काम कर रहे हैं, जिससे विश्व युद्ध की आधारशिला तैयार हो सकती है।

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भारत का शांति मिशन

वहीं दूसरी ओर, भारत अपनी शांति सेना के माध्यम से वैश्विक स्तर पर शांति का संदेश देने की कोशिश कर रहा है। भारत के इजरायल और ईरान दोनों के साथ संबंध बेहतर हैं, इसलिए इसे किसी एक पक्ष के साथ खड़े होने के बजाय शांति स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। इसी संदर्भ में, भारत ने मिडिल ईस्ट में अपनी सेना की तैनाती पर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया है।

भारतीय नौसेना की गतिविधियाँ

इस समय भारतीय नौसेना के तीन जहाज ईरान के बंदरगाह अब्बास पर तैनात हैं। फारस की खाड़ी में प्रशिक्षण मिशन के तहत आईएनएस शार्दुल, आईएनएस तीर और आईसीजीएस वीरा ईरानी बंदरगाह पर पहुंचे हैं। भारतीय नेवी के इन जहाजों का स्वागत ईरानी नौसेना के जहाज ज़ेरेह द्वारा किया गया, जो भारत और ईरान के बीच बढ़ते नौसैनिक सहयोग को दर्शाता है। यह कदम किसी युद्ध की तैयारी नहीं, बल्कि सहयोग का प्रतीक है।

इस प्रकार, अमेरिका और ब्रिटेन की सैन्य तैनाती एक गंभीर चिंता का विषय है, जो कि मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकती है। दूसरी ओर, भारत का शांति संदेश और नौसैनिक सहयोग इस क्षेत्र में शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यदि सभी देश युद्ध की बजाय शांति का मार्ग अपनाते हैं, तो वैश्विक स्थिरता की उम्मीद की जा सकती है।

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भारत का यह कदम सभी को याद दिलाता है कि युद्ध हमेशा आखिरी विकल्प होना चाहिए, और शांति से अधिक महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।

मिडिल ईस्ट में भारत किसके साथ …

अमेरिका ने कितने सैनिकों को मिडिल ईस्ट में तैनात किया है?

अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में 43,000 सैनिकों की तैनाती का निर्णय लिया है।

भारत का मिडिल ईस्ट में क्या भूमिका है?

भारत अपने शांति सेना के माध्यम से मिडिल ईस्ट में शांति का संदेश देने की कोशिश कर रहा है और ईरान के साथ नौसैनिक सहयोग बढ़ा रहा है।

भारतीय नौसेना के कौन से जहाज ईरान के बंदरगाह पर हैं?

आईएनएस शार्दुल, आईएनएस तीर, और आईसीजीएस वीरा ईरान के बंदरगाह अब्बास पर तैनात हैं।

भारत और ईरान के बीच का सहयोग क्या दर्शाता है?

भारत और ईरान के बीच बढ़ता नौसैनिक सहयोग यह दर्शाता है कि यह किसी युद्ध की तैयारी नहीं, बल्कि शांति का प्रयास है।

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