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देश के मदरसों को बदनाम करने की एक और साजिश नाकाम

देश के मदरसों को बदनाम करने और आतंकवाद से जोड़ने का एक और प्रयास नाकाम हुआ। देवबंद के दारुल उलूम की वेबसाइट पर फतवे को लेकर मेरठ पुलिस ने सहारनपुर के जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी। अपनी रिपोर्ट पुलिस ने कहा है कि मदरसे के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई आधार नहीं मिला और इसलिए कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.” सहारनपुर के कार्यवाहक एसएसपी अभिमन्यु मांगलिक ने पुष्टि की कि रिपोर्ट सहारनपुर के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. दिनेश चंद्र को सौंप दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि मदरसे के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई आधार नहीं मिला और इसलिए ”कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई.” हिंदुस्तान टाइम्स ने यह खबर दी.

गौरतलब है कि लगभग करीब 10 दिन पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने यूपी सरकार को इस्लामिक मदरसों विशेषकर दारुल उलूम देवबंद पर प्रतिबंध लगाने और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। जिसमें करीब 15 साल (2008) पहले के एक फतवे को अधार बनाया गया था। यह फतवा दारुल उलूम की वेबसाईट पर मौजूद था। आयोग ने 15 साल पहले के उस फतवे को आधार बना कर, स्थानीय पुलिस से मदरसे के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिये थे। जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की और पाया कि एफआईआर को आधार नहीं बनता। जिससे साफ होता है कि उक्त फतवे को तोड़ मरोड़कर कर पेश किया गया था।

कोर्ट जाने को था तैयार था मदरसा……

दारुल उलूम, देवबंद के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने एक प्रतिष्ठित समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि यह मामला बीतों दिनों मदरसे में दो दिवसीय बैठक में मजलिस शूरा (कार्यकारी परिषद) में भी उठाया गया था। उस्मानी ने कहा, ‘जहां यह तय हुआ था कि कि अगर प्रशासन इस संबंध में कोई कानूनी कार्रवाई शुरू करता है, तो मदरसा अदालत जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यह मामला २००८ में मदरसे के फतवे से जुड़ा है, जो मदरसे की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था। उस फतवे में कही गई बात सिर्फ हदीस का संदर्भ था।

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Fatwa on website:No ground for lodging FIR against Darul Uloom of Deoband, say police

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