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इज़राइल की कार्रवाई आतंकवाद : जमात-ए-इस्लामी हिंद ने की कड़ी निंदा

नई दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने इज़राइल के लेबनान पर हमलों की कड़ी आलोचना करते हुए इन्हें “मानवीय मूल्यों और अंतरराष्ट्रीय युद्ध कानूनों का सीधा उल्लंघन” बताया है। उन्होंने कहा, “यह हमला क्षेत्र में जारी विनाशकारी युद्ध को और बढ़ावा देने और शांति को नष्ट करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है।”

क्षेत्रीय शांति के लिए निर्णायक कदमों की जरूरत

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने अपने बयान में कहा कि इज़राइल के इन बर्बर हमलों में लगभग 500 लोग मारे गए हैं, जिनमें करीब 50 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा, 1,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं और हजारों निर्दोष नागरिकों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। इस स्थिति ने क्षेत्र में एक गंभीर मानवता संकट पैदा कर दिया है।

हुसैनी ने इज़राइल द्वारा पहले किए गए “पेजर हमलों” का भी उल्लेख किया, जो इज़राइल की इंटेलिजेंस और मिलिट्री द्वारा मिलकर किए गए ऑपरेशन थे। उन्होंने बेल्जियम के उप-प्रधानमंत्री सहित कई अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का हवाला देते हुए कहा कि ये हमले आतंकवादी कार्रवाइयों के रूप में माने गए हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका पर सवाल

हुसैनी ने याद दिलाया कि इज़राइल उन देशों में शामिल है जिन्होंने “प्रोटोकॉल ऑन माइन, बूबी ट्रैप्स एंड अदर डिवाइसेज” पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बावजूद, इज़राइल ने बड़े पैमाने पर बूबी ट्रैप्स का उपयोग किया है, जो कि युद्ध कानूनों के अनुसार गैरकानूनी है। इन विस्फोटकों का इस्तेमाल निर्दोष नागरिकों को धोखे से मारने के लिए किया जा रहा है, जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।

हुसैनी ने इज़राइल की इस आतंकवादी कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय कानूनों की खुली अवहेलना की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, “यह चौंकाने वाली बात है कि वे देश जो कभी आतंकवाद के खिलाफ युद्ध की बात करते थे, आज इज़राइल की आतंकवादी गतिविधियों पर चुप्पी साधे हुए हैं।”

गंभीर परिणामों की चेतावनी

हुसैनी ने चेतावनी दी कि इज़राइल के आक्रामक कदमों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “गाज़ा की पहले से ही विनाशकारी स्थिति और भी खराब हो सकती है, और क्षेत्र में शांति स्थापित करने के प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है।”

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हुए, हुसैनी ने कहा कि गाज़ा और दक्षिणी लेबनान में तुरंत युद्धविराम लागू करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन और लेबनान में नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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