
जबलपुर। शहर में सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को हनीट्रैप, ठगी और ब्लैकमेलिंग में फंसाने के मामलों में लगातार तेजी आ रही है। पिछले कुछ महीनों में साइबर सेल और पुलिस थानों में दर्ज शिकायतों से साफ है कि संगठित गिरोह ऑनलाइन फ्रॉड का नया जाल बिछा रहे हैं। ताज़ा मामला शताब्दीपुरम का है, जिसने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया।
शताब्दीपुरम में फंसाए दो युवक — मारपीट, ब्लैकमेल और 1 लाख की मांग
बेलखेड़ा निवासी दो युवक इंस्टाग्राम यूजर हैं। उनकी बातचीत ‘रागिनी शर्मा’ नाम की एक कथित लड़की से शुरू हुई।
कुछ दिनों की चैटिंग के बाद युवती ने उन्हें मिलने बुलाया।
पहली मुलाकात मेहता पेट्रोल पंप के पास हुई, जहां युवती ने उन्हें शताब्दीपुरम स्थित एक किराए के क्वार्टर में चलने को कहा।
जैसे ही युवक कमरे में पहुंचे, वहाँ पहले से मौजूद दो युवक—विवेक तिवारी और साहिल बर्मन—ने युवती के साथ मिलकर दोनों युवकों से मारपीट शुरू कर दी और एक लाख रुपये की मांग की।
पीड़ितों के विरोध करने पर हंगामा चौकी तक पहुंचा। वहां भी काफी देर तक विवाद चलता रहा और पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं। फिलहाल सीएसपी कोतवाली रितेश शिव के निर्देशन में पूरे गैंग की जांच जारी है।
मोबाइल, चैट, इंस्टाग्राम आईडी और कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। पुलिस को संदेह है कि यह गिरोह पहली बार सक्रिय नहीं हुआ, बल्कि इससे पहले भी कई युवाओं को इसी तरह फंसाया गया है।

जबलपुर में बढ़ रहा “हनीट्रैप मॉड्यूल”: फर्जी डीपी, नकली चैट और फिर ब्लैकमेलिंग
साइबर सेल की जांच में सामने आया है कि हनीट्रैप और ब्लैकमेलिंग गैंग एक तय पैटर्न पर काम कर रहे हैं—
- फर्जी लड़की की प्रोफाइल बनाना
- आकर्षक DP और नकली बातचीत से भरोसा जीतना
- फिर अचानक मिलने का प्रस्ताव
- सुनसान कमरा, क्वार्टर या होटल में बुलाकर
- धमकाना
- मारपीट
- अश्लील वीडियो बनाकर ब्लैकमेल
- और फिर रकम की मांग
युवाओं का डेटा, फोटो और लोकेशन इनके हाथ लगते ही ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू हो जाता है।
पिछले महीनों में मामले 10 गुना बढ़े—मिडिल क्लास प्रोफेशनल भी निशाने पर
केवल कॉलेज स्टूडेंट ही नहीं, बल्कि आईटी कर्मचारी, बैंक स्टाफ, छोटे व्यापारी और प्राइवेट नौकरी करने वाले लोग भी इनके शिकार बन रहे हैं।
कई पीड़ित बदनामी के डर से शिकायत दर्ज नहीं कराते, जिससे गैंग और अधिक साहसी हो रहे हैं।
पुलिस के सामने नई चुनौती—फर्जी सिम, VPN और अस्थाई नंबर से मुश्किल हुई जांच
आरोपी तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं—
- फर्जी आधार पर लिए गए सिम
- वीपीएन
- अस्थाई इंस्टाग्राम/फेसबुक आईडी
- और अस्थाई कमरे या लॉज
इस वजह से पुलिस तक पहुंचना कठिन हो रहा है।
शताब्दीपुरम वाले मामले ने साफ किया है कि शहर में एक से अधिक गैंग सक्रिय हो सकते हैं।
पुलिस बड़े अभियान की तैयारी में—कॉलेजों में शुरू होगा साइबर अवेयरनेस ड्राइव
सीएसपी समेत स्पेशल टीम बनाई गई है।
पुलिस जल्द ही—
- कॉलेज कैंपस में सेशन
- साइबर फ्रॉड जागरूकता अभियान
- और “साइबर सेफ्टी वीक”
शुरू करने जा रही है।
कैसे बचें हनीट्रैप और सोशल मीडिया फ्रॉड से
- अनजान प्रोफाइल को तुरंत ब्लॉक करें
- पहली मुलाकात हमेशा सार्वजनिक स्थान पर करें
- निजी फोटो/लोकेशन किसी को न भेजें
- धमकी मिलते ही पुलिस/सायबर सेल को सूचित करें
- सभी चैट, कॉल रिकॉर्ड और स्क्रीनशॉट सुरक्षित रखें



