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S.I.R. प्रक्रिया के दौरान 22 दिनों में 25 बीएलओ की मौत — जबलपुर सहित पूरे मध्यप्रदेश में बढ़ी चिंता, चुनावी तैयारियों पर उठे सवाल

नई दिल्ली/जबलपुर। एसआईआर (Special Summary Revision) प्रक्रिया के दौरान केवल 22 दिनों में 7 राज्यों में 25 बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की मौत की खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। वहीं तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही 34 लोगों की मौत हुई है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है।

मध्यप्रदेश — खासकर जबलपुर संभाग के शिक्षकों और बीएलओ ने भी पिछले कुछ दिनों से एसआईआर प्रक्रिया के दौरान भारी दबाव की शिकायतें उठाई हैं। स्थानीय शिक्षक संगठनों ने कहा कि लगातार बढ़ता कार्यभार और तकनीकी दिक्कतें बीएलओ के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही हैं।


चुनावी तैयारी के बोझ तले बीएलओ — जबलपुर में भी दबाव की स्थिति

जबलपुर के कई बीएलओ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि—

  • दिनभर स्कूल का काम
  • शाम से देर रात तक मतदाता सूची अपडेट
  • तकनीकी खराबियों, सर्वर डाउन और ऐप से जुड़ी समस्याएँ
    इन सबने काम को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

स्थानीय शिक्षक संगठनों ने कहा कि अगर सिस्टम में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले महीनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।

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चुनाव आयोग रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है

चुनाव आयोग अभी तक किसी मौत का कारण “काम का दबाव” बताने की पुष्टि नहीं करता। आयोग के सूत्रों ने कहा कि राज्यों की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद ही तथ्य स्पष्ट होंगे।

फिलहाल बीएलओ का दावा है कि एसआईआर प्रक्रिया में—

  • फॉर्म अपलोड करने की भारी मात्रा
  • सर्वर फेल होने की घटनाएँ
  • तकनीकी रूप से अस्थिर मोबाइल एप
    काम को और मुश्किल बना रहा है।

पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत की टिप्पणी

पूर्व CEC ओपी रावत ने कहा—

  • “अगर आयोग ज्यादा ध्यान दे तो बीएलओ का काम काफी आसान हो सकता है।”
  • “जैसे मध्यप्रदेश में कैप्चा हटाने से अपलोड का काम आसान हुआ।”
  • “बीएलओ अपने स्तर पर समाधान ढूंढ रहे हैं, जबकि ये काम सिस्टम को करना चाहिए था।”

रावत ने बताया कि दिसंबर में स्कूलों पर कोर्स पूरा करने का दबाव रहता है, ऐसे में शिक्षकों को दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।


गोंडा (यूपी) की दर्दनाक घटना ने बड़ा सवाल खड़ा किया

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में बीएलओ एवं शिक्षक विपिन यादव की आत्महत्या के बाद मामला और गरमा गया है।
उनके पिता सुरेश यादव ने आरोप लगाया कि:

  • एसडीएम और बीडीओ मतदाता सूची से ओबीसी मतदाताओं के नाम हटाने और सामान्य वर्ग के नाम बढ़ाने का दबाव डाल रहे थे।
  • मना करने पर निलंबन और गिरफ्तारी की धमकी दी जाती थी।

विपिन की पत्नी ने कहा कि अधिकारी आधार कार्ड न देने वालों के नाम भी जोड़ने को मजबूर करते थे। “वह बहुत दबाव में थे,” पत्नी सीमा ने कहा।


जबलपुर में संभावित प्रभाव — शिक्षक संघ सतर्क

जबलपुर जिला शिक्षक संघ ने मांग की है कि—

  • बीएलओ के कार्य को समयबद्ध और सरल बनाया जाए
  • सर्वर और ऐप को स्थिर किया जाए
  • अतिरिक्त कार्यभार के लिए उचित भत्ता और सुरक्षा दी जाए
  • शिक्षकों को दोहरी भूमिका से राहत मिलनी चाहिए

जबलपुर के बीएलओ का कहना है कि ऐसी घटनाएँ उनके मनोबल को प्रभावित कर रही हैं और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।


राजनीतिक घमासान तेज

  • बंगाल के मंत्री अरुप बिस्वास ने दावा किया— “34 मौतें एसआईआर के दबाव के कारण हुईं।”
  • मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा— “इस प्रक्रिया का उद्देश्य पीछे के दरवाजे से एनआरसी लागू करना और डर पैदा करना है।”
  • भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय का आरोप— “टीएमसी फर्जी और संदिग्ध नाम जुड़वा रही है।”

जबलपुर को क्यों चिंता है?

  • जबलपुर में लगभग 6,000+ बीएलओ, जिनमें बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल
  • दिसंबर–जनवरी में स्कूलों का शैक्षणिक दबाव
  • डिजिटल सिस्टम की अस्थिरता
  • ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क और सर्वर संबंधी दिक्कतें
  • समयसीमा तंग, लेकिन कार्यभार विशाल

शहर के शिक्षकों का कहना है कि अगर प्रशासन जल्द समाधान नहीं देता, तो “बीएलओ सिस्टम टूटने लगा है” जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

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