
रानी दुर्गावती विश्वविघालय जबलपुर के नए कुलपति प्रोफेसर राजेश वर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति का विवाद थमने का नाम ही नही ले रहा है। जहां पूर्व मे कुलगुरु की नियुक्ति को लेकर छात्र संगठनो को प्रदर्शन करते देखा जा रहा था तो वही अब ये मामला प्रदेश की विधानसभा तक जा पहुंचा है। जहां कांग्रेस के विधायको ने कुलगुरु की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए उच्च शिक्षा मंत्री से जानकारी मांगी है।
दरअसल जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविघालय के कुलपति प्रोफेसर राजेश वर्मा ने जबसे कुलपति पद संभाला है तब से ही उनकी नियुक्ति सवालो के घेरे मे है। छात्र संगठनो का आरोप है की राजेश वर्मा वास्तव मे कुलगुरु पद की योग्यता ही नही रखते बावजूद इसके उन्हे कुलपति बनाया गया है। नियुक्ति का विरोध कर रहे छात्र संगठनो का कहना है की जिस व्यक्ति की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति ही संदिग्ध है और सवालो के घेरे मे भला उसको कुलपति कैसे बनाया जा सकता है।
वही विधानसभा मे भोपाल से विधायक आरिफ मसूद ने आरडीवीवी के कुलपति की नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए। उच्च शिक्षा मंत्री से प्रोफेसर रोजेश कुमार वर्मा की प्राध्यापक के पद पर प्रथम नियुक्ति के समय प्रस्तुत योग्यता संबंधी अभिलेख,जाति,आय,अनुभव प्रमाण पत्र आदि की जानकारी सदन मे रखने की मांग की है।
भोपाल विधायक आरिफ मसूद के अलावा बालाघाट से कांग्रेस के मधुभगत ने भी उच्च शिक्षा मंत्री से कुलपति की उच्च शिक्षा विभाग में प्राध्यापक के पद पर प्रथम नियुक्ति के समय प्रस्तुत योग्यता संबधी सभी दस्तावेज सदन के माध्यम से उपलब्ध कराने की मांग की है।
साथ ही दोनो ही विधायको ने कुलपति के सेवा काल के दौरान विभाग मे आई शिकायतो की प्रतियां तथा उन शिकायतो पर हुई कार्यवाही व जांच अधिकारी व्दारा लिए गए निर्णयो की प्रतियां उपलब्ध कराने की भी मांग की गई है।
वही विधायको व्दारा चाही गई जानकारी पर अपनी बात रखते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा की विभाग व्दारा इस संबध मे जानकारी एकत्रित की जा रही है जिसके बाद यह सारी जानकारिया प्रस्तुत की जाएंगी। हालंकि विधायको के प्रशन पर जवाब देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री ने इस बात को स्वीयकार किया की कुलपति के पद पर पदस्थ राजेश वर्मा की पहली नियुक्ति से संबंधित संधारित नस्ती मे आय प्रमाण पत्र प्राप्त नही हुआ है। बताते चले की नियुक्ति के समय प्रोफेसर वर्मा ने आरक्षण का लाभ लिया था इस हिसाब से आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना जरुरी हो जाता है। साथ ही कुलपति का अनुभव प्रमाण पत्र भी सदेंह के घेरे मे है। छात्र नेताओ का आरोप है की प्रोफेसर बनने के लिए निर्धारित समयावधि के पूर्व ही रोजेश वर्मा को प्राध्यापक पद पर नियुक्त कर दिया गया था। हालंकि जब छात्रो व्दारा कुलगुरु की नियुक्ति पर सवाल उठाएं गए थे तब इस पूरे मामले पर कुलगुरु डा. वर्मा का कहना था की उनकी नियुक्ति नियम के अनुसार हुई है और अगर इसपर किसी को आपत्ति है तो वह राज्यपाल भवन या न्यायलय जा सकता है।
हालंकि की अब देखने होगा की कुलपति की इस नियुक्ति के मामले मे जारी आरोप प्रत्यारोप का दौर कहां जा कर रुकता है और इस मामले पर उच्च शिक्षा मंत्री क्या जवाब प्रस्तुत करते है। कहना गलत नही होगा की उच्च शिक्षा मंत्री के जानकारी प्रस्तुत करने के बाद ही इन सारे आरोपो की सच्चाई सामने आ सकेंगी।।