
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के खिलाफ जबलपुरवासियों ने एकता और शांति का संदेश देते हुए आज कड़ा विरोध दर्ज कराया। मुस्लिम समुदाय की ओर से आयोजित यह कैंडल मार्च बाहोरा बाग से रद्दी चौकी तक निकाला गया, जिसमें शहर के विभिन्न सामाजिक और मानवाधिकार संगठनों ने सहभागिता कर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
इस शांतिपूर्ण मार्च का नेतृत्व सद्भावना मंच जबलपुर की ओर से एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता, घनश्याम जी, तथा मानववादी संगठन की ओर से भावना दीक्षित और एडवोकेट अंजना कोरिया ने किया। वहीं महिला सद्भावना मंच से नाजिया बानो और शहर के प्रमुख धार्मिक व्यक्तित्व जमाअत इस्लामी के नाजिम-ए-शहर गुलाम रसूल साहब भी इस आयोजन में उपस्थित रहे।
मार्च में शामिल लोगों ने काली पट्टियाँ बांधकर और मोमबत्तियाँ जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी तथा देश में शांति, सौहार्द और एकता बनाए रखने का संकल्प लिया।
वक्ताओं के विचार
मोहम्मद मेहदी ने कहा,
“दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुआ यह बर्बर और अमानवीय आतंकी हमला इंसानियत के ख़िलाफ़ संगीन जुर्म है। हम इस दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वालों को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करते हैं और उनके परिवारों के साथ दिली हमदर्दी जताते हैं।”
एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता ने अपने बयान में केंद्र सरकार से सख़्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा,
“हम मांग करते हैं कि इस जालिमाना हरकत में शामिल तमाम मुल्ज़िमों को फ़ौरन गिरफ़्तार कर इंसाफ़ के कठघरे में लाया जाए और उन्हें ऐसी सज़ा दी जाए जो नज़ीर बने।”
गुलाम रसूल साहब ने मीडिया की भूमिका पर चिंता जताते हुए कहा,
“हम उन मीडिया संस्थानों की कड़ी निंदा करते हैं जो इस हादसे को मज़हबी नफ़रत फैलाने का ज़रिया बना रहे हैं। इससे समाज में दरार पैदा होती है और असल मुद्दों से ध्यान भटकता है।”
नाजिया बानो ने कहा,
“हम इस दुख की घड़ी में पीड़ितों के साथ खड़े हैं और घायलों की जल्द स्वस्थ होने की दुआ करते हैं। हमारा यकजहती का यह पैगाम आतंक के हर रूप के खिलाफ है।”
कैंडल मार्च को सफल बनाने में SIO के मोहम्मद जोहेब, शाह फैसल, सफीक अहमद, रईस अहमद, सिराज मंसूरी, सरफराज, सोनू अंसारी और वसीम अहमद की सक्रिय भूमिका रही।
महिलाओं में शकीला बानो, अनीशा बानो, कनीजा बानो, आयशा बानो, और ख़ैरून बाजी ने विशेष सहभागिता कर शांति और भाईचारे का संदेश दिया।
यह कैंडल मार्च केवल विरोध नहीं था, बल्कि देश की साझा संस्कृति, संवेदनशीलता और मानवीय एकता का एक सशक्त प्रदर्शन था। आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि जबलपुर जैसे शहरों में आतंकवाद के खिलाफ मज़हब से परे एकजुटता और इंसानियत की ताक़त खड़ी है।