नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के दो कॉलेजों के उस आदेश पर आंशिक रूप से रोक लगा दी, जिसमें कॉलेज कैंपस में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर बैन लगाई गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा- स्टूडेंट्स को क्या पहनना है या क्या नहीं पहनना है, इस पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते।
बेंच ने कहा कि एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अपनी पसंद स्टूडेंट्स पर नहीं थोप सकते। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं। अगर कॉलेज का इरादा स्टूडेंट्स की धार्मिक आस्था को उजागर न करने का था, तो उसने तिलक और बिंदी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया।
कोर्ट ने कॉलेज चलाने वाली चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसायटी की वकील माधवी दीवान से पूछा- क्या स्टूडेंटस के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती। हालांकि बेंच ने कहा कि स्टूडेंट्स को क्लास के अंदर बुर्का पहनने की और कैंपस में धार्मिक गतिविधि की इजाजत नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने सर्कुलर पर रोक लगाते हुए को नोटिस जारी किया और कहा कि 18 नवंबर तक आप सर्कुलर लागू नहीं करेंगे। शीर्ष अदालत कैंपस के अंदर हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के कॉलेज के सर्कुलर को बरकरार रखने वाली बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई कर रहा था।