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नया सियासी कोहराम: ‘एक देश एक चुनाव’ को मोदी सरकार ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की रिपोर्ट को कैबिनेट ने स्वीकार किया

नई दिल्ली । मोदी सरकार 3.0 ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में “एक देश एक चुनाव” के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया है। यह योजना लंबे समय से चर्चा में थी और अब मोदी सरकार इसके कार्यान्वयन की दिशा में आगे बढ़ती दिख रही है।

प्रस्ताव की मुख्य बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिली है। इसके तहत लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की योजना बनेगी। 2 सितंबर को मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था, जो सभी स्तरों पर एक साथ चुनाव कराने के पहलुओं पर विचार करेगी।

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रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए। इसके बाद, लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाने चाहिए। इससे पूरे देश में निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न हो सकेंगे। वर्तमान में, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग आयोजित होते हैं।

पीएम मोदी का दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से “वन नेशन, वन इलेक्शन” की वकालत कर रहे हैं। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस संकल्प को हासिल करने के लिए एक साथ आने का अनुरोध किया है, जिसे उन्होंने समय की मांग बताया है।

राजनीतिक दलों का समर्थन और विरोध

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुवाई में बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 पार्टियों ने “एक देश, एक चुनाव” का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने इसका विरोध किया। 15 अन्य पार्टियों ने कोई जवाब नहीं दिया।

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केंद्र की एनडीए सरकार में बीजेपी के अलावा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) जैसी बड़ी पार्टियां शामिल हैं। जेडीयू और एलजेपी (आर) ने समर्थन दिया है, जबकि टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। समर्थन देने वाली पार्टियों ने कहा है कि इससे समय और पैसे की बचत होगी। दूसरी ओर, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम और बसपा जैसे दलों ने इसका विरोध किया है।

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